29 अगस्त। बीते तीन सप्ताह से हड़ताल पर बैठीं हरियाणा की आशा कार्यकर्ताओं ने, अभी तक सरकार की तरफ से किसी भी तरह की बातचीत की पहल न होते देख, राज्य विधानसभा के घेराव की घोषणा कि थी। इसके बाद राज्य के विभिन्न जिलों से पंचकूला पहुँच रहीं आशा वर्करों को पुलिस द्वारा रास्ते में ही रोक दिया गया। इससे गुस्साई आशा कार्यकर्ता रोके गए जगहों पर ही धरने पर बैठ गईं और सरकार तथा पुलिस विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
मालूम हो कि आशा कार्यकर्ताओं के संगठन द्वारा पहले ही इसकी घोषणा कर दी गई थी कि सोमवार को राज्य भर की आशा वर्कर हरियाणा विधानसभा के घेराव के लिए कूच करेंगी, जिसके बाद प्रशासन द्वारा पंचकूला जिले में धारा-144 लगा दी गयी थी। पुलिस द्वारा रास्ते में कई जगहों पर नाका लगाकर इन कार्यकर्ताओं को रोका गया, इसके बावजूद कई आशा कार्यकर्ता धरनास्थल तक पहुँच गई, जहाँ आशा वर्करों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस दौरान पुलिस और वर्कर्स में काफी धक्का-मुक्की हुई।
पुलिस की कार्रवाई के बाद आशा वर्कर यूनियन की राज्य अध्यक्ष सुरेखा ने आरोप लगाया कि “महिला पुलिसकर्मियों ने हमारे साथ मारपीट की। एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा लगाती है पर यही बेटियां जब अपने हक के लिए लड़ती हैं तो उनको गिरफ्तार किया जाता है उनके साथ मारपीट की जाती है। सरकार के इशारे पर पुलिस ने मदर ऑफ डेमोक्रेसी का नमूना पेश किया है। आशा कार्यकर्ता इस दमन और उत्पीड़न को याद रखेंगी और आने वाले समय में सरकार को इसका माकूल जवाब देंगी। हमारी मांगें जब तक पूरी नहीं हो जातीं, ये हड़ताल जारी रहेगी।”
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा आशा वर्करों के साथ की गई बदसलूकी और गिरफ्तारी की निंदा कीकी। उन्होंने कहा कि “सरकार ट्रेड यूनियन एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों पर लगातार हमले कर रही है। आशा कार्यकर्ताओं को अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का पूरा हक है, जिसको कर्मचारी संगठन छीनने नहीं देंगे।”
मालूम हो कि राज्य की 20 हजार आशा वर्कर, सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, 26 हजार रुपये न्यूनतम मासिक वेतन देने, 50 प्रतिशत कटौती की गई इंसेंटिव राशि को बहाल करने, ईएसआई-ईपीएफ की सुविधा प्रदान करने, ऑनलाइन काम का दबाव न बनाने आदि कई मांगों को लेकर 8 अगस्त से हड़ताल पर हैं। लेकिन सरकार और विभाग ने आशा वर्करों से बातचीत तक करना आवश्यक नहीं समझा तो यूनियन ने 28 अगस्त को विधानसभा कूच का ऐलान किया था।
विधानसभा कूच को विफल बनाने के लिए रविवार शाम से सरकार व पुलिस प्रशासन हरकत में आ गए थे। आशा वर्करों और सीटू के नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए उनके घरों पर छापेमारी शुरू कर दी गई। आशा वर्कर्स यूनियन के नेताओं को पुलिस द्वारा उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया। पुलिस ने आशा वर्करों द्वारा चंडीगढ़ के लिए बुक किये गए वाहनों को ट्रांसपोर्टरों से मिलकर रद्द करवाया।