— गोपाल राठी —
भारत के मीडिया को पाकिस्तान एंगल के बिना खाना नहीं पचता। वे ऐसा कोई मौका नहीं चूकते। चन्द्रयान 2 हो या जी-20. दोनों मौकों पर पाकिस्तान के जले-भुने लोगों को दिखा-दिखाकर शेखी बघारना और यह प्रचारित करना कि भारत की कामयाबी से पाकिस्तान में खलबली मच गई। भारत के और भी पड़ोसी देश- म्यामांर, बांग्लादेश, नेपाल, चीन, श्रीलंका हैं- उनमें भारत की कामयाबी की कैसी चर्चा है यह कभी नहीं बताया जाता।
पाकिस्तान के जले-भुने लोगों के माध्यम से भारत के अवाम को यह सन्देश देने की कोशिश की जाती है कि देखो मोदी मैजिक। पाकिस्तान और मुसलमान दहशत में हैं। कुंठित हिन्दू मन को खुश करने का यह हथियार बहुत पुराना है।
उक्त उदाहरण से यह सिद्ध होता है कि हमारी सारी वैज्ञानिक व अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि सिर्फ पाकिस्तान पर बढ़त बनाने के लिए है। इसके अलावा हमारा कोई मकसद नहीं है।
भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है उसकी पाकिस्तान से कोई तुलना और प्रतिस्पर्धा हो ही नहीं सकती। यह कृत्रिम प्रतिस्पर्धा का परिणाम यह हुआ है कि भारत के परमाणु विस्फोट के बाद पाकिस्तान भी विस्फोट कर परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बन गया।
हिन्दू सेंटिमेंट को उकसाने के लिए पाकिस्तान के हिन्दू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार या हिन्दू धर्म स्थानों पर हमले की रिपोर्टिंग गोदी मीडिया में विस्तार से की जाती है जबकि भारत में अल्पसंख्यकों- मुस्लिमों, ईसाइयों- के धर्मस्थलों पर हमले, उन्हें भगवा रंग से पुतवाना, उन पर भगवा झंडा फहराना, लव जिहाद के नाम पर उन्हें प्रताड़ित करना, गौमाता के नाम पर उनकी मॉबलिंचिंग, हत्या आदि को विलोपित कर दिया जाता है। उधर पाकिस्तानी मीडिया में यह खबरें प्रमुखता पाती हैं। क्योकि उन्हें वहां मुस्लिम सेंटीमेंट को मेंटेन करना होता है।
हिन्दू मुस्लिम भावनाओं (सेंटिमेंट) का यह झमेला दोनों देशों में वोटों के ध्रुवीकरण का आजमाया हुआ नुस्खा है जिसका इस्तेमाल करके साम्प्रदायिक और कट्टरपंथी सत्ता की सीढ़ी चढ़ जाते हैं और देश की जनता का कुछ भला किये बिना सत्ता पर बने रहते हैं।
साम्प्रदायिकता पाकिस्तान से ज्यादा भारत के लिए खतरनाक है क्योंकि भारत विविध धर्म, संस्कृति और भाषा का देश है। अगर यहाँ साम्प्रदायिक शक्तियां मजबूत हुईं तो यह फिर से भारत के विभाजन का आधार बन सकता है। पाकिस्तान का निर्माण हिन्दू मुसलमानों की आपसी नफरत की बुनियाद पर हुआ था। अगर कोई अपने सियासी फायदे के लिए फिर से नफरत की राजनीति कर रहा है तो वो पाकिस्तान का दुश्मन नहीं दोस्त है। ध्यान रखें, पाकिस्तान नफरत के आधार पर बना था भारत नहीं। भारत सिर्फ प्रेम से एक रहेगा नफरत से नहीं । जो भारत को एक देखना चाहते हैं उन्हें देश में चल रही नफरती राजनीति से तौबा कर लेनी चाहिए।
हम ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जहाँ सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग मिलजुल कर रहते हों, जहां धर्म उनकी आध्यात्मिक उन्नति का और राजनीति उनकी भौतिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करे । यही हमारे संविधान की भावना है।