लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन

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लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान

लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन भारत में लोकशक्ति के नव-जागरण के शुभ संकेतों का हार्दिक अभिनंदन करता है।

हमें इस बात की खुशी है कि पिछले दिनों में देश में एक नयी राजनीतिक चेतना का निर्माण हुआ है ।‌ श्रमिकों, किसानों, महिलाओं, आदिवासी समुदायों, विद्यार्थियों – युवाजनों और वंचित जमातों में न्याय और आत्मसम्मान के लिए लोक-पहल आधारित साझेदारी के उदाहरण बढ़ रहे हैं।सामुदायिक संबंधों से लेकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सांप्रदायिक नफरत की बजाए सर्व-धर्म सद्भावना को प्रोत्साहन मिल रहा है। अयोध्या और मणिपुर से लेकर अमेठी और लद्दाख तक 2024 के आमचुनाव में भी संकीर्णता आधारित वर्चस्व के मुकाबले जनहितकारी एकता की प्रवृत्ति को बल मिला है ।

राजनीतिक -आर्थिक विमर्श में किसानों -गांवों की समस्याओं, पर्यावरण संकट और बेरोज़गारी और मंहगाई की चुनौती को नयी राष्ट्रीय सहमति का आधार बनाया जा रहा है।‌ इससे अस्मिता की राजनीति और भ्रष्टाचार की अर्थनीति से‌ सत्ता साधने में जुटी जमातों के सपने विफल होने लगे हैं।‌ इसमें मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान की शिक्षा और स्वास्थ्य से लेकर सुशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर मोर्चे पर चिंताजनक दिशाहीनता का भरपूर योगदान है। मुट्ठी भर सत्ता के सौदागरों को छोड़कर देश के किसी भी हिस्से में निकट भविष्य में ‘अच्छे दिन आएंगे ‘ का भरोसा नहीं बचा है।

पूरा देश, विशेषकर युवा भारत, वैश्वीकरण की ओट में पूंजीवादी विषमताओं और सांप्रदायिक वैमनस्यता को बढ़ावा देते हुए ‘बांटो और राज करो’ की कूटनीति को पहचान चुका है। नौकरशाही, न्यायालय, मीडिया और आर्थिक संस्थानों पर दमघोंटू नियंत्रण के बावजूद हम भय के अंधेरे से अभय के प्रकाश -पथ की ओर बढ़ रहे हैं। ‘अन्यता’ से आतंकित होने की बजाए ‘एकता’ के प्रति आशान्वित हुए हैं।

इस सबसे हमारे देश में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण की संभावना बढ़ी है। लेकिन हमारी चेतावनी है कि बिना राजनीतिक सुधार, सामाजिक न्याय और आर्थिक दिशा परिवर्तन के यह संभावना साकार नहीं हो सकती। बिना संपूर्ण क्रांति की जरूरत को स्वीकारे मौजूदा सकारात्मकता क्षणभंगुर साबित हो सकती है। इसलिए हमारे सम्मेलन का आवाहन है कि सभी लोकतांत्रिक व्यक्ति, मंच और आंदोलन राष्ट्रीय नवनिर्माण के लिए संवाद और सहयोग के आधार पर ‘बेरोजगारी हटाओ-लोकतंत्र बढ़ाओ ‘ को अपना मार्गदर्शक बनाएं और पूरा समाज सरोकारी नागरिकों की रचनात्मक सक्रियता को तन-मन-धन से प्रोत्साहित करे।

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