एसकेएम लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लद्दाख की जनता के संघर्ष का पूर्ण समर्थन किया

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Fully supported the struggle of the people of Ladakh

लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लद्दाख की जनता के संघर्ष का पूर्ण समर्थन किया एसकेएम ने, कहा : इस संघर्ष से सत्ता के केंद्रीकरण और संविधान में निहित संघीय अधिकारों के उल्लंघन की एनडीए सरकार की नीति बेनकाब हुई

सुरजीत भवन में आयोजित एसकेएम की आम सभा ने लद्दाख के कार्यकर्ताओं के अपने वास्तविक लोकतांत्रिक अधिकारों के संघर्ष को पूर्ण समर्थन देने का प्रस्ताव पारित किया। एसकेएम नेतृत्व ने आज नई दिल्ली के लद्दाख भवन में भूख हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य लोगों से मुलाकात की और उनके संघर्ष के प्रति एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया।

लद्दाख के लोग चार प्रमुख मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची का क्रियान्वयन करने, जो भूमि की सुरक्षा और आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता की गारंटी देता है, की मांग शामिल है। प्रदर्शनकारी लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें और भर्ती प्रक्रिया में लद्दाख के लिए अलग लोक सेवा आयोग की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि केंद्र शासित प्रदेश के ठप्पे ने लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को आसान बना दिया है, जो हिमालयी क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकता है।

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद से लद्दाख के साथ एक उपनिवेश की तरह व्यवहार किया जा रहा है, जिसमें बाहरी नौकरशाह पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र की नीतियों को नियंत्रित कर रहे हैं। इसने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है, जो कॉरपोरेट-नौकरशाही नियंत्रण के तहत सत्ता को केंद्रीकृत करने की भाजपा की नीति की विफलता को उजागर करता है और जो भारत के संघीय सिद्धांतों को कमजोर करता है।

लद्दाख के लोगों को डर है कि संवैधानिक सुरक्षा उपायों के बिना केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा इस क्षेत्र को अस्थिर विकास की ओर ले जा रहा है। अनियमित पर्यटन, कॉर्पोरेट उद्यम और खनन उनकी आजीविका के नाजुक संतुलन को खतरे में डाल रहे हैं और हिमनदों के नुकसान को और बदतर बना रहे हैं, जिससे लद्दाख के पानी पर निर्भर लाखों लोग प्रभावित होते हैं। कॉर्पोरेट दिग्गज इस क्षेत्र में व्यवसाय के लिए नज़र गड़ाए हुए हैं, जिसमें 20 लाख आगंतुकों (जो स्थानीय आबादी से कहीं ज़्यादा हैं) के लिए एक हवाई अड्डे का निर्माण और चरवाहों और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण नाजुक चांगथांग चरागाहों में 20,000 एकड़ की सौर परियोजना जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं।

एसकेएम पूरे भारत के लोगों से अपील करता है कि वे लद्दाख के लोगों के लोकतांत्रिक संघर्ष के प्रति एकजुटता का इजहार करें और अपना समर्थन दें और लोकतंत्र के लिए खतरनाक कॉर्पोरेट-नौकरशाही निर्देशित मोदी-शाह सरकार के खिलाफ उठ खड़े हों।

एसकेएम नेतृत्व ने भूख हड़ताल पर बैठे लद्दाख के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, जिनमें पी कृष्णप्रसाद, आशीष मित्तल, प्रेम सिंह गहलावत, सत्यवान, इंद्रजीत सिंह, सिदगौड़ा मोदागी, अवतार सिंह मेहमा, अशोक बैठा, विमल त्रिवेदी, गुरुमीत सिंह, धीरज गाबे और बलबीर सिंह मास्टर आदि शामिल थे।

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