दिवाली की शुभकामनाएं

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Medha patakar

— मेधा पाटकर —

चलो जलाए दिये की वात..दिल की बात….
दिन डूब गया,द्वार में खड़ी रात!!
दीपावली हो या ईद,मनाते मनमुराद…
पर वंचित सहेंगे कैसे आघात,दिनरात?
बेघर किया जिन्हें सत्ता के हथियारों ने,
अंधकार से टकराना हमे सिखाया उन्हीं ने!!!
सारे दूषणों से भरा लेते है जो श्वास,
मौत के कगार पर भी वे जता रहे है विश्वास!!
डूबो दिए जिनके घर,गांव और रिश्ते,
वे टीन शेड से टकराते,आज भी है लड़ते!!!
खून,पसीना बहाकर जो हुए बेरोजगार,
मीले कर दी भंगार,जारी है न्याय की पुकार!!
धंस गए है पहाड़,हिमालय की कोखमे….
सुन्न हू,सुनकर लद्दाख, वायनाड की चीख मै!!!!
ज़ेलबंद होकर पड़े है,गोलबंद करनेवाले,,
कतार में खड़े है सारे,सच्चाई बरतनेवाले।।
जारी है फ़टाखों की तोड़फोड़,,चमकधमक की साज ….
कैसी मनाऊं दिवाली,भूलकर पीड़ीतों की आवाज???
…..
जलती रहे दीपों की माला…..
सब को मिले शांति और मीठा निवाला…..
उसी से हो उजागर ,हमारी मंजिल,मिले न्याय का हवाला!

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