— विनोद कोचर —
बटेंगे तो कटेंगे’ का चुनावी नारा लगाकर हिन्दू वोटों को अपने पाले में खींचने की हताशाजनक कोशिश करने वाली संघी/भाजपाई गैंग को अगर अपने खुद के गिरेबान में झांकने से परहेज नहीं होता तो उन्हें यह दिखाई जरूर देता कि हम इस कदर बंटे हुए लोग हैं कि विदेशों में भी ‘गुजराती क्लब’, ‘बंगाली क्लब’, ‘महाराष्ट्र क्लब’, ‘पंजाबी क्लब’ इत्यादि बना लेते हैं।कभी एक अखिल भारतीय क्लब की रचना नहीं करते।हमारे बंटे रहने के कारण ही हमने सदियों लंबी गुलामी भोगी है।
हिन्दू समाज का ये बंटवारा मुसलमानों ने तो नहीं किया था! इसके लिए तो हिन्दू समाज में सदियों से चली आ रही जाति व्यबस्था ही जिम्मेदार है। इसी जातिव्यवस्था ने न जाने कितने शम्बूकों, एकलव्यों, कर्णों, रोहित वेमुलाओं जैसी हुतात्माओं का अपमान किया है, उनकी हत्या की है अब ये ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का चुनावी नारा इन्हीं संघी/भाजपाई नफरतियों के गले की फांस बनता जा रहा है।
बकौल दुष्यंत-
किससे कहें कि छत की मुंडेरों से गिर पड़े?
हमने ही खुद पतंग उड़ाई थी शौकिया!
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