महाराष्ट्र में जनादेश को कब्जाया, महायुति की सरकार अवैधानिक : डॉ सुनीलम

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Maharastra election

sunilamभाजपा ने देश में तथा महायुति ने महाराष्ट्र में विधायिका पर कब्जा करने के लिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया का दुरुपयोग किया है। लोकतंत्र के चारों स्तंभों को जनांदोलन के माध्यम से ही दुरुस्त किया जा सकता है। लोकतंत्र और संविधान बचाने की जो चुनौती देश के समक्ष है, उसका मुकाबला करने का एकमात्र तरीका जनांदोलन है। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने संसदीय लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को आक्रोशित, बेचैन और चिंतित कर दिया है। महाराष्ट्र का चुनाव नतीजा अविश्वसनीय और अकल्पनीय है। महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे को लेकर मेरा आंकलन है कि इस चुनाव को हाईजैक कर लिया गया है अर्थात जनादेश का अपहरण किया गया है। जिससे महाराष्ट्र के मतदाताओं सहित सभी का भरोसा संसदीय लोकतंत्र के प्रति डगमगाना लाज़िमी है। महाराष्ट्र चुनाव में जो कुछ हुआ वह सब एक ही श्रृंखला की कड़ियां हैं। जिसकी शुरुआत भाजपा ने महाविकास अघाड़ी की सरकार को गिराते समय शुरू की थी।

मैं चाहता हूं कि आप उस समय जो कुछ हुआ उसका स्मरण करें। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायकों को (उनमें से कई महाविकास अघाड़ी की सरकार में मंत्री थे) को डराया, धमकाया, और ब्लैकमेल कर खरीदा गया था। विधायकों को सूरत से गुवाहाटी (असम) ले जाकर होटल में रखा गया और वहां से लाकर महायुति की सरकार बनाई गई। उस समय पचास खोके (पचास करोड़) देकर खरीद-फरोख्त की गई। उस समय यदि विधायकों की खरीद-फरोख्त पर रोकथाम तथा सरकार गिराने के खिलाफ जनता को साथ लेकर आंदोलन किया गया होता तो सरकार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सकता था।
महाविकास अघाड़ी की सरकार का जाना और महायुति की सरकार बनना विधायकों की खरीद-फरोख्त से संभव हुआ लेकिन तकनीकी तौर पर इसमें मुख्य भूमिका विधानसभा अध्यक्ष की थी। महाविकास अघाड़ी के विधायकों को सदन के भीतर और महाराष्ट्र की जनता के साथ विधानसभा के बाहर घेराव करके आंदोलन के माध्यम से सरकार को ठप्प करना संभव था।

फिर मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा। उस समय यदि देशभर के लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए प्रतिबद्ध नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर जनमार्च किया होता तो सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह लंबा वक्त लेकर पार्टी की टूट, विधायकों की खरीद-फरोख्त को जायज ठहराकर शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह छीने थे, उस अवैधानिक फैसले को रोका जा सकता था।

महायुति की सरकार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की गई वैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा सकता था।उसके बाद 20 नवंबर 24 को महाराष्ट्र के चुनाव हुए। जिसे सरकारी मशीनरी, ईवीएम, फर्जी गारंटीयों के माध्यम से हर विधानसभा क्षेत्र में तमाम उम्मीदवार खड़े कर करोड़ों रुपए खर्च कर माइक्रो मैनेजमेंट से चुनाव जीता गया। 23 नवंबर को चुनाव नतीजा आने के बाद जनादेश का अपहरण कर सरकार बनाने के फैसले को जनता के साथ मिलकर सड़कों पर चुनौती दी जानी चाहिए थी। महाविकास अधाड़ी और इंडिया गठबंधन ने इस आशय का कोई संकेत नहीं दिया है।

26 नवंबर के पहले सरकार बन जाएगी। यदि महाविकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन के दल इस सरकार को नाजायज मानते हैं तो उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। महाविकास अघाड़ी के विधायकों को विधानसभा का बहिष्कार करना चाहिए तथा रोज सदन में जाकर चुनाव को रद्द करने जनादेश का अपहरण करने वाली सरकार नहीं चलेगी के नारे लगाते हुए सदन के बाहर धरना देना चाहिए।

महाविकास आघाड़ी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को विधानसभा के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देना चाहिए जब तक महाराष्ट्र चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव की घोषणा न हो जाए। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन के नेताओं को जिले- जिले का दौरा कर रैलियां करनी चाहिए तथा जिले के रिटर्निंग ऑफीसरों का अनिश्चितकालीन घेराव शुरू करना चाहिए।

इन सब कार्यक्रमों को तय करने के लिए पहले महाविकास अघाड़ी के नेताओं की बैठक हो, जिसमें इन प्रस्तावों पर विचार किया जाए। इसके बाद इंडिया गठबंधन की बैठक कर इस संबंध में निर्णय किया जाएं। मुझे लगता है कि जन आंदोलन के अलावा और कोई तरीका नहीं है जिसके माध्यम से देश में लोकतंत्र बचाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने चुनाव जीतने के लिए जो कुछ महाराष्ट्र में किया उसे उत्तर प्रदेश में तो दोहराया ही, इसके साथ सरकारी मशीनरी (सुरक्षा बलों) का उपयोग कर मतदाताओं को मतदान से रोका गया, इंडिया गठबंधन के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे, पोलिंग एजेंट्स को अंदर नहीं बैठने दिया, बाहर टेबल नहीं लगाने दिए।

इसकी पुनरावृति चुनाव में न हो यह सुनिश्चित समाजवादी पार्टी को करना होगा । इसके लिए समाजवादी पार्टी को चुनाव आयोग पर निष्पक्ष चुनाव कराने और कार्यपालिका पर निष्पक्ष कार्य करने के लिए सतत जनांदोलन करना होगा। 2027 के निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने और रामपुर मॉडल पूरे उत्तरप्रदेश में दोहराने से रोकने के लिए यही एकमात्र विकल्प है।

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