— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
आजकल मुल्क की सियासत में बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर रस्साकशी जारी है, तथा हर पार्टी, नेता, समूह, संगठन अपने को डॉक्टर अंबेडकर का सबसे बड़ा पैरोंकार सिद्ध करने पर जोर आजमाइश कर रहे हैं। परंतु डॉक्टर अंबेडकर सोशलिस्टों को अपने सबसे नजदीक मानकर उनके साथ चुनावी समझौता कर चुनाव लड़े, तथा बाद में सोशलिस्टों के समर्थन से वे राज्यसभा में भी चुने गए। आजादी के बाद 1952 में भारत के प्रथम लोकसभा चुनाव मैं कांग्रेस के विरुद्ध संयुक्त रूप से लड़ने के लिए महाराष्ट्र किसान मजदूर दल और शेड्यूल कास्ट फेडरेशन इन दो दलों के नेताओं ने महाराष्ट्र में एक संयुक्त मोर्चा बनाने के बारे में कुछ महीनो से विचार विमर्श शुरू किया। डॉ अंबेडकर को दिल्ली में इसकी सूचना दी गई।1951 के प्रथम सप्ताह में नई दिल्ली में शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की कार्यकारिणी समिति की बैठक में चुनाव के संबंध में विचार विमर्श हुआ शेड्यूल कास्ट फेडरेशन ने निर्णय लिया कि वे कांग्रेस, हिंदू महासभा या कम्युनिस्टों के साथ बिल्कुल सहयोग नहीं करेंगे, परंतु सोशलिस्ट पार्टी के साथ तालमेल होगा। 1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल संसदीय क्षेत्र से शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की ओर से डॉक्टर अंबेडकर तथा सोशलिस्ट पार्टी के अशोक मेहता संयुक्त उम्मीदवार बने।
1952 के चुनाव में संवैधानिक रूप से व्यवस्था थी कि एक लोकसभा क्षेत्र से दो प्रतिनिधियों का चुनाव होता था, जिसमें एक पद सुरक्षित तथा दूसरा पद अनारक्षित था। एक ही बैलट पेपर पर दो नाम लिखे होते थे। 18 नवंबर को अंबेडकर मुंबई रहने के लिए आ गए बोरीबंदर मुंबई के स्टेशन पर शेड्यूल कास्ट फेडरेशन और सोशलिस्ट पार्टी ने उनका भव्य स्वागत किया। दूसरे दिन सर कावस जी जहांगीर ऑडिटोरियम में शेड्यूल कास्ट फेडरेशन और सोशलिस्ट पार्टी की ओर से एक संयुक्त सभा हुई। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में बोलते हुए सोशलिस्ट पार्टी शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की एकता को अपवित्र मानकर उसकी निंदा की। डॉक्टर अंबेडकर और अशोक मेहता दोनों हार गए।
अंबेडकर को 123576 तथा अशोक मेहता को139741 वोट मिले, लगभग 25000 वोट से अंबेडकर चुनाव हार गए। चुनाव में हार जाने के बाद दिल्ली में डॉक्टर अंबेडकर ने कहा, हार के धक्के का मुझ पर कोई खास असर नहीं हुआ। उनका कहना था की कम्युनिस्ट नेता डांगे के षड्यंत्र के कारण उनकी पराजय हुई। अपनी पार्टी के एक नेता राज,घो, भंडारी को चुनाव के परिणाम के बारे में लिखते हुए उन्होंने कहा, चुनाव एक तरह का जुआ है —-फिर भी हम सफलता तक पहुंचे थे, हमें धीरज नहीं छोड़ना चाहिए,हमें हमारे लोगों की उम्मीद पस्त नहीं होने देने चाहिए। समाजवादियों पर उंगली उठाने के लिए कोई जगह नहीं है। कुछ दिनों बाद अंबेडकर और अशोक मेहता ने मुंबई में हुए लोकसभा चुनाव रद्द किया जाए इस तरह की एक याचिका चुनाव न्याय समिति के समझ पेश की, उसमें कहा गया था कि दोहरी मतदाता संघ में एक ही इच्छुक उम्मीदवार को दो वोट देने के बारे में प्रचार होने से उस चुनाव में भ्रष्टाचार हुआ इसलिए चुनाव रद्द किया जाए ।उस याचिका के खिलाफ कम्युनिस्ट उम्मीदवार एस ए डांगे तथा जीते हुए कांग्रेसी उम्मीदवार नारायण राव काजोल कर उसमें प्रतिवादी बन गए। अंबेडकर अशोक मेहता की याचिका खारिज कर दी गई।
मार्च 1952 में मुंबई विधान परिषद की ओर से 17 सीटों के लिए राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होने वाला था, डॉ अंबेडकर राज्यसभा के उम्मीदवार थे सोशलिस्ट पार्टी तथा शेतकरी पार्टी के समर्थन से वे राज्यसभा के सदस्य लिए गए। 1954 में भंडारा महाराष्ट्र संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव था चुनाव में सुरक्षित सीट के लिए शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की ओर से डॉ आंबेडकर तथा जनरल सीट पर सोशलिस्ट अशोक मेहता दोबारा संयुक्त उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़े। चुनाव में अंबेडकर को132483 वोट मिले तथा केवल 8183 वोटो से डॉ आंबेडकर कांग्रेस उम्मीदवार भाअराव बोरकर से चुनाव हार गए, परंतु अशोक मेहता चुनाव जीत गए।