— माजिद पारेख —
पहलगाम में जो भयानक और नासमझी भरा हिंसक हमला हुआ है, उसने सिर्फ़ देश की शांति नहीं तोड़ी, बल्कि हर उस भारतीय मुसलमान की आत्मा को झकझोर दिया है, जो अब भी एकता, इंसानियत और न्याय में विश्वास रखता है। आतंकवादियों के नाम मैं यह खुला पत्र सिर्फ़ एक नागरिक के रूप में नहीं लिख रहा हूँ, बल्कि एक टूटे हुए दिल वाले भारतीय मुसलमान के रूप में लिख रहा हूँ — जिसकी आस्था हमेशा इस देश के प्रति प्रेम और शांति में बसी रही है। और उसी शांति पर हमला हुआ है। जब तुमने निर्दोष नागरिकों, पर्यटकों और बच्चों पर गोलियाँ चलाईं, तो सिर्फ़ एक जगह को निशाना नहीं बनाया — बल्कि भारत की आत्मा, उसकी साझा संस्कृति और उसके मूल्यों को चोट पहुँचाई है।
मैं उसी ज़मीन पर पैदा हुआ जिसे तुमने अपवित्र करने की कोशिश की। मैंने पहलगाम की शांति भरी वादियों को हमेशा महसूस किया है, उसकी ताज़ा हवा में लोगों को सांसें लेते हुए लोगों के बीच की अनकही सौहार्दता को महसूस किया है। मैंने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साझा किया है। और आज, उसी आत्मा को तुमने रौंदा है।
मगर यह जान लो — तुम्हारी गोलियाँ सच्चाई की आवाज़ को खामोश नहीं कर सकतीं। नफ़रत शांति का संदेश नहीं मिटा सकती। पहलगाम सिर्फ़ नक्शे पर एक जगह नहीं है। यह भारत की विविधता, समावेशिता और अटूटता का जीता-जागता प्रतीक है।
कुरान शरीफ़ के सूरह ताहा की आयत 55 में लिखा है कि अल्लाह ने इंसान को मिट्टी से बनाया। और आयत 53 में ज़मीन को पालन करने वाली माँ बताया गया है। तो बताओ, कैसे तुम उस मिट्टी से गद्दारी कर सकते हो जिसने तुम्हें पाला? कैसे तुम इस्लाम के नाम पर वही उसूल तोड़ सकते हो, जो इसकी बुनियाद हैं?
हम भारतीय मुसलमानों को हमेशा इज़्ज़त और आज़ादी मिली है। मैंने हमेशा खुद को पहले एक भारतीय समझा है — इस देश में मुझे मिली आज़ादी और इज़्ज़त के लिए शुक्रगुज़ार रहा हूँ। इसी विरासत से मैं तुमसे बात कर रहा हूँ — और तुम्हारा कुकृत्य इस विरासत के खिलाफ़ एक घिनौनी गद्दारी है।
तुम इस्लाम या कश्मीर के लिए लड़ने का दावा करते हो। मगर हमारी समझ का अपमान मत करो। कुरान बताता है कि बिना राज्य की अनुमति और शांति संधियों की अवहेलना करते हुए किया गया जिहाद इस्लामिक नैतिकता के खिलाफ़ है। तुम ना तो स्वतंत्रता सेनानी हो, ना योद्धा, ना शहीद।
तुम कायर हो — मासूमों पर वार करने वाले, पवित्र आयतों को तोड़-मरोड़ कर हत्या को सही ठहराने वाले। तुमने आम इंसानों — पर्यटकों, महिलाओं, मासूम बच्चों, तीर्थयात्रियों, नवविवाहितों — को निशाना बनाया। और इस क्रूरता को तुम जिहाद कहते हो? शर्म आनी चाहिए तुमको.
जिहाद का अर्थ है “संघर्ष” — एक पवित्र शब्द जिसे तुम्हारी विकृत सोच ने कलंकित कर दिया है। तुम्हारा कृत्य जिहाद नहीं, पाप है। विश्वासघात है। इस्लाम की शिक्षाओं का अपमान है। पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) ने कहा था, “जो किसी भी इंसान की हत्या करेगा, मैं क़यामत के दिन उसके खिलाफ खड़ा रहूँगा ।” इस हदीस से यह स्पष्ट होता है कि इस्लाम में गैर-मुसलमानों के प्रति सुरक्षा और सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोई भी व्यक्ति जो इस सुरक्षा को तोड़ता है, वह गंभीर धार्मिक दंड का पात्र है। फिर भी तुम निर्दोषों का खून बहाते हो और खुद को इस्लाम का प्रतिनिधि कहते हो? तुमने न केवल खुद को बदनाम किया है, बल्कि हर उस मुसलमान को शर्मसार किया है जो आज भी ईमानदारी से जी रहा है।
तुम्हारे आदर्श — ओसामा बिन लादेन, हाफ़िज़ सईद, ISIS, बोको हरम — ये ईश्वर के भक्त नहीं बल्कि अपराधी हैं। उन्होंने धर्म का इस्तेमाल सत्ता के लिए किया। उनके परिवार तो विदेशों में शांति से जी रहे हैं, और उन्होंने तुम जैसे युवाओं को मोहरा बना डाला।
तुम्हें मालूम होना चहिये कि ओसामा बिन लादेन ने अपने बच्चों से कहा था कि वे यूरोप-अमेरिका में पढ़ें, शांतिपूर्वक रहें, और उसकी राह पर न चलें। एक वसीयत में उसने लिखा था, “मैं तुम्हें सलाह देता हूँ कि अल-कायदा से जुड़ो मत।” ऐसे धोकेबाज़ों को तुमने अपना आदर्श बना रखा है, जिनको तुम इज्ज़त की निगाह से देखते हो।
आज तुम्हारी वजह से दाढ़ी और टोपी — जो भक्ति के प्रतीक हैं — शक की निगाहों से देखे जाते हैं। तुम्हारी वजह से हम, शांति में विश्वास रखने वाले मुसलमानों को उन अपराधों की सफाई देनी पड़ती है, जिनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं। घाटी में जिन मुसलमानों ने तुम्हारी गोलियों के बीच पीड़ितों की जान बचाते हुए मदद की, उनकी इंसानियत और भलमनसाहत तुम्हारी हैवानी के बीच भुलावे में चली गयी.
मगर याद रखो — हम, इस देश के सच्चे मुसलमान, अब भी डटे हुए हैं। हम ग़ुस्से में हैं, लेकिन हम डरेंगे नहीं। हम चुप नहीं बैठेंगे। हम तुम्हें इस्लाम की परिभाषा बदलने नहीं देंगे। और न ही भारत की आत्मा को खंडित करने देंगे। भारतवासियों से मेरा अनुरोध है — इन आतंकवादियों को अपने मुस्लिम भाइयों-बहनों से न जोड़ें। हम भी आपके साथ दुखी हैं, हम भी आपके साथ शोक मना रहे हैं। यह सिर्फ़ आपका नुकसान नहीं है — यह हमारा भी नुकसान है।