हमारे डा. रवि चोपड़ा जी – इस्लाम हुसैन

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Ravi Chopara

दो दिन पहले मशहूर इन्वायरमेंटलिस्ट और साइंसदां डा. रवि चोपड़ा जी ने अपने आने के प्रोग्राम के बारे में बताया था, और आज वो कौसानी और नैनीताल से लौटते हुए मेरे ग़रीबख़ाने पर तशरीफ़ ले आए। डा चोपड़ा साहब पिछले सालों में भी हमारे यहां तशरीफ़ ला चुके हैं। उनका आना वाकई में दिल को खुश कर गया वो जब भी आते हैं तो लगता है हमारे बुजुर्ग सरपरस्त आ गए हैं।

मेरे साथ उन्होंने उत्तराखंड के कई मसलों पर बात की. 25 साल के उत्तराखंड के हाल और हालात पर लम्बी गुफ्तगू हुई। पुरानी बातों और उत्तराखंड के बनने से पहले के ख़्वाबों को याद किया गया।

डा चोपड़ा साहब ने सुबह नैनीताल में वरिष्ठ साथियों जैसे इतिहासकार शेखर पाठक जी और वरिष्ठ पत्रकार और बड़े भाई Rajiv Lochan Sah ji वगैरह के साथ इस बारे हुई बातचीत के बारे बताया और वरिष्ठ गांधीवादी राधा बहन से हुई मुलाकात की भी चर्चा की। राधा दीदी का जन्म दिन भी कल ही था, इसी मौके पर चोपड़ा साहब राधा दीदी से मिलने लक्ष्मी आश्रम कौसानी गए थे।

डा चोपड़ा साहब ने इतिहास भूगोल के परिप्रेक्ष्य में उत्तराखंड के 25 साला हालातों पर लम्बी बात की। और इस बात पर ज़ोर दिया उत्तराखंड के सामाजिक आर्थिक राजनैतिक और पर्यावरण आदि के मौजूदा हालात पर लोगों को आगाह यानि जागरूक किया जाना ज़रूरी है। और इसके लिए उत्तराखंड के जिम्मेदार लोगों के साथ बातचीत की जानी ज़रूरी है।

उत्तराखंड में अक़लियतों ख़ासकर मुसलमानों की मौजूदगी पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि गढ़वाल के एक गांव अंजनी में बसे मुसलमानों से जब उन्होने ये पूछा कि वो यहां कबसे बसे हैं, तो उन्होंने कई पीढ़ियां गिनाते हुए बताया कि उनके बुजुर्गों को गढ़वाल के राजा ने राजपरिवार की रानियों राजकुमारियों के लिए चूड़ी बनाने और श्रृंगार का सामान बनाने के लिए फिरोजाबाद से बुलाया था।

इस पर मैंने कहा कि आजकल उत्तराखंड में मुसलमानों के बारे में अलग तरह का नैरेटिव चल रहा है, मैंने उन्हें उत्तराखंड में मुसलमानों के आने के बारे हो रही इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उत्तराखंड में मुसलमान मुगलों से पहले सल्तनत दौर से रहते आए हैं। फिर तेरहवीं सदी में कलियर में मशहूर सूफी हज़रत अलाउद्दीन साबिर का आना और उनके साथ सूफियों और मिरासियो की आवाजाही चलती रही। इस सिलसिले में मैंने उत्तराखंड की जागर परम्परा में सैदली गायकी का ज़िक्र किया जिसमें मुस्लिम धर्म के प्रतीकों नामों का जागर में गायन होता है। तथा जिसका गायन गढ़वाल के प्रसिद्ध जागर गायक स्व केशव अनुरागी लखनऊ रेडियो स्टेशन पर कर चुके थे। वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा भी सोशल मीडिया में केशव अनुरागी जी के साथ अपने इस अनुभव को शेयर कर चुके हैं।

इस तथ्य को डा विजय बहुगुणा Vijay Bahuguna अपने सम्पादन में छपी किताब ” उत्तराखंड का जन इतिहास लोक संस्कृति एवं समाज” में छपे अपने शोध लेख, “मध्य हिमालय की मौखिक सैद जागर……..” में बता चुके हैं। , (इस बारे में डा विजय बहुगुणा जी के पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा Rajeevnayan Bahuguna की मौजूदगी में मेरे घर पर पिछले साल संक्षिप्त चर्चा भी हुई थी)

मैंने दिल्ली के सुल्तानों के साथ कुमाऊं गढ़वाल और हिमाचल के राजाओं के ताल्लुकात पर बात रखी। मैंने यह भी साफ किया कि सूफियों के साथ मुस्लिम गायकार मिरासी भी आए जो गढ़वाल के गांवों में बस गए थे। उसके बाद गढ़वाल और कुमाऊं के राजाओं ने महिला श्रृंगार का काम करने वालों और मनिहारों को बुलाया जो पहाड़ के गांवों में बस गए। इन्हीं के साथ पहाड़ में सर्विस सैक्टर जैसे बढ़ई, लोहार, घर बनाने वाले कारीगर वगैरह बुलवाए गए मुगलों के वक्त यह सिलसिला चलता रहा। अंग्रेज़ों ने 19वीं शताब्दी में जब यहां अलग-अलग जगहों पर पलटनें/ रेजीमेंट्स बनाईं तो मुसलमानों के आने में तेज़ी आई।

आज अगर पहाड़ के मुसलमानो से यह पूछो कि उनका ख़ानदानी पहाड़ में कब आए? तो वो लकड़दादा तक की बात करते हैं। इस सिलसिले में यह बताया जाना भी ज़रूरी है कि पहाड़ में आजादी और बंटवारे के बाद 1950 में साम्प्रदायिक तनाव के बाद कांडा बागेश्वर में जो मुसलमानों की मारकाट हुई थी, उस सानिउड्यार गांव में मुसलमान कई पीढ़ियों से रह रहे थे।

डा चोपड़ा साहब ने उत्तराखंडी समाज में मुसलमानों की भूमिका का दस्तावेजीकरण करने की ज़रूरत बताई। मैंने उन्हें बताया कि एक समय में उत्तराखंड के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्व गिरीराज शाह (उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक) द्वारा उत्तराखंड बनने से पहले मुझे यह काम सौंपा था उनके निधन के बाद यह काम रुक गया था, इस बीच मैने नैनीताल समाचार में एक सीरीज “एक मुशई का सफरनामा” शुरू की थी जिसकी पांच-छः किस्त छपी थी।

इस सब गुफ्तगू के साथ उत्तराखंड की दशा और दिशा पर बातचीत करते हुए डेढ़ घंटा गुजर गया यह पता ही नहीं चला। तय ये हुआ कि इस बारे में लम्बी बातचीत के लिए फिर मिला जाएगा।


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