धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव की कविता!

0
Happiness

खुशियों से भर दे 

भूखे को रोटी दे,
बेघर को घर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।

गीतों को, छंदों को,
नतमस्तक वन्दों को,
नन्हे परिंदों को,
एक साथ उड़ने को,
पावनतम पर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।

चौकी को, चूल्हों को,
घर को, स्कूलों को,
बागों को, फूलों को,
खुशबू के साथ रोज,
खिलने का वर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।

धधक रहे खेतों की,
सूख रहे होठों की,
तड़प रहे बेटों की,
पीड़ा पढ़ खारा जल,
फिर मीठा कर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।

एक नई सूरत है,
पर यही जरूरत है,
बेहतर मुहूरत है,
गंगा की झोली में,
यमुना को धर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।

रांची, करांची को,
पेशावर, झाँसी को,
वर्मा और काशी को,
एक साथ जीने का,
हँसने का स्वर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment