खुशियों से भर दे
भूखे को रोटी दे,
बेघर को घर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
गीतों को, छंदों को,
नतमस्तक वन्दों को,
नन्हे परिंदों को,
एक साथ उड़ने को,
पावनतम पर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
चौकी को, चूल्हों को,
घर को, स्कूलों को,
बागों को, फूलों को,
खुशबू के साथ रोज,
खिलने का वर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
धधक रहे खेतों की,
सूख रहे होठों की,
तड़प रहे बेटों की,
पीड़ा पढ़ खारा जल,
फिर मीठा कर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
एक नई सूरत है,
पर यही जरूरत है,
बेहतर मुहूरत है,
गंगा की झोली में,
यमुना को धर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
रांची, करांची को,
पेशावर, झाँसी को,
वर्मा और काशी को,
एक साथ जीने का,
हँसने का स्वर दे।
माँ दुर्गे ! नया वर्ष
खुशियों से भर दे।
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