24 फ़रवरी। देश में बेरोज़गारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने वाले युवा नेता अनुपम ने दिल्ली की जंतर मंतर पर बेरोज़गार इंजीनियरों की आवाज़ बुलंद की। अनुपम ने प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि देशभर के इंजीनियर एकजुट हो जाएं तो युवा-विरोधी सरकारों के होश ठिकाने ला सकती है।
मामला दरअसल रेलवे द्वारा ‘ग्रुप ए’ इंजीनियर्स के पदों को इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा से न कराकर सिविल सेवा परीक्षा 2022 से कराने का है। ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय महासचिव रजत यादव ने कहा कि सरकार के इस कदम से छात्र ही नहीं, रेलवे का भी नुकसान होगा। इस मामले को लेकर सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर अभ्यर्थी आंदोलित हैं। विरोध प्रदर्शन के क्रम में आज बड़ी संख्या में इंजीनियरों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम समेत तमाम कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
बता दें कि वर्ष 2019 तक रेलवे की ग्रुप-ए इंजीनियर की भर्तियों के लिए यूपीएससी की दो संयुक्त भर्तियां कराई जाती थी जिस नियम को 2019 में बदल कर आईआरएमएस बनाने का निर्णय लिया गया। रेलवे में ग्रुप-ए नौकरियों की तैयारी करने वाले युवाओं ने पिछले 3 साल से आईआरएमएस का इंतजार किया लेकिन भर्ती नहीं निकाली गयी।
आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे शिक्षक रामतीरथ ने बताया कि सरकार ने आईआरएमएस के डेढ़ सौ पदों को यूपीएससी की 2022 संयुक्त परीक्षा से भर्ती करने की घोषणा की है। जिसके विरोध में देशभर के रेलवे भर्ती के इंजीनियर अभ्यर्थी आंदोलित हैं।
बेरोजगार इंजीनियरों को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि यह सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। मुनाफा कमाने वाले उपक्रमों को बेचा जा रहा है और घाटे में चल रही कंपनियों को खरीदा जा रहा। इसी कारण चंद लोगों अमीर होते जा रहे और आम जनता गरीबी बेरोज़गारी महँगाई के शिकार हो रहे। सरकार अब रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर चुकी है, इसी कारण से रेलवे में नौकरियां नहीं दी जा रही। अनुपम ने कहा कि वो इस सरकार की युवा-विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ेंगे और जीतेंगे।
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