23 अप्रैल। 22 अप्रैल, पृथ्वी दिवस पर दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच के साथ जनपहल, वर्कर्स वेलफेयर फाउंडेशन और बस्ती सुरक्षा मंच ने कचरे का वैज्ञानिक मापदंड से प्रबंधन नहीं होने के कारण भूमि के नुकसान एवं कबाड़ी मज़दूरों की भूमिका पर चर्चा का आयोजन किया।
चूंकि पृथ्वी दिवस 2022 का उद्देश्य दुनिया के सबसे बड़े खतरे – जलवायु परिवर्तन- का मुकाबला करने के लिए समाधानों में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करना था, और सभी को अपनी भूमिका निभाने के लिए पहल करना था, ऐसे लोगों के साथ संगठित होने की आवश्यकता महसूस की गयी जो बिना मान्यता के भी पृथ्वी पर सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं जो कि कचरा बीननेवाले हैं।
कार्यक्रम गाजियाबाद में हुआ जिसमें लोगों द्वारा गीत और संगवारी ग्रुप द्वारा एक नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें आंबेडकर के जीवन और संघर्षों को दर्शाया गया। कार्यक्रम में रिसर्चर्स द्वारा चर्चा और एक मुफ्त स्वास्थ्य और ई-श्रम कार्ड बनवाने का भी प्रबंध किआ गया था।
चर्चा में साझा किया गया कि वर्तमान में दिल्ली में 4 लैंडफिल के लिए 262 एकड़ भूमि का उपयोग अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। प्रसंस्करण के लिए बुराड़ी, शास्त्री पार्क, सुखदेव विहार को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा 300 एकड़ के करीब पहुंच जाता है। यदि ढलान वाले मकानों को मोहल्लों में शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा न्यूनतम 400 एकड़ के पार चला जाता है।
एक अनुमान के अनुसार 2050 तक कचरे के निस्तारण के लिए 88 वर्ग किलोमीटर के बराबर भूमि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए नयी दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के बराबर भूमि की आवश्यकता होगी।
यदि अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल असंगठित क्षेत्र के कचरा बीननेवाले मजदूरों को भागीदार बनाया जाए, तो वर्तमान में उपयोग की जा रही एक तिहाई भूमि का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) (एमएसडब्ल्यू) नियम 2016 की सिफारिश को लागू करती है, तो सामग्री वसूली सुविधा (एमआरएफ) के माध्यम से 90 फीसद से अधिक कचरे का उपयोग करने की संभावना है। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए कि कचरे का प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।
इस आयोजन में कचरा बीननेवालों के साथ-साथ संगठनों की भारी भागीदारी देखी गयी।
अधिक जानकारी के लिए: 8178959197, 9958797409; [email protected]