1 अप्रैल। समाजवादी मुख़्तार अनीस का कल लखनऊ में निधन हो गया। साठ के दशक में विद्यार्थी आंदोलन के प्रमुख केंद्र के रूप में उत्तर भारत में लखनऊ विश्वविद्यालय की अनूठी भूमिका रही और इसमें समाजवादी युवजन सभा का ऐतिहासिक योगदान था। मुख़्तार अनीस समाजवादी युवजन सभा की पहली क़तार के लोकप्रिय छात्रनेता थे। फिर उन्होंने समाजवादी युवजन सभा की उत्तर प्रदेशीय टीम का महामंत्री पद सँभाला। 67 से 77 के बीच पहले डॉ लोहिया फिर लोकनायक जयप्रकाश से प्रेरित आंदोलनों में जेल गए। आपातकालीन प्रतिरोध के अगुआ थे। 1977 के बाद सीतापुर (उ. प्र.) से कई बार विधायक चुने गए। समाजवादी पार्टी की सरकार में लोकप्रिय मंत्री रहे। इधर कुछ वर्षों से पक्षाघात की समस्या के कारण सक्रिय राजनीति से विरत हो गए थे। फिर भी लोहिया विचार के प्रचार-प्रसार के प्रति सरोकारी बने रहे और शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद समाजवादी सम्मेलनों में आते रहे।
तेजस्वी, सुशिक्षित और मिलनसार भाई मुख़्तार अनीस ने पचास बरसों से भी अधिक का पूरा समय समाजवादी आंदोलन के समर्पित कार्यकर्ताओं के बीच लगाया। मधु लिमए, एस. एम. जोशी, जार्ज फ़र्नांडीज और मुलायम सिंह यादव के विश्वासपात्र रहे। मोहन सिंह, सत्यदेव त्रिपाठी और सत्यपाल मलिक से उनकी विशेष निकटता थी। उन्होंने डॉ लोहिया के बारे में एक किताब संपादित-प्रकाशित की, जो एक विशिष्ट योगदान मानी गयी है। लेकिन यह अफ़सोस की बात रही कि समाजवादी आंदोलन के बिखराव के दौर के अंतर्विरोधों के कारण उन्हें अपनी क्षमता और अनुभव के अनुकूल कभी भी राष्ट्रीय राजनीति में योगदान का अवसर नहीं मिल पाया। फिर भी उनका समाजवादी परिवार में बने रहना बड़ी प्रशंसा की बात थी।
हम समाजवादी युवजन सभा के तूफ़ानी दिनों के अपने एक आकर्षक नायक और उत्तर भारत में समाजवादी आंदोलन और संगठन के वरिष्ठ नेता भाई मुख़्तार अनीस के न रहने पर उनके शोकसंतप्त परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी समवेदना प्रकट करते हैं। हमें यकीन है कि नई पीढ़ी के समाजवादी कार्यकर्ताओं को उनकी दिखाई राह से प्रेरणा मिलेगी।
अलविदा मुख़्तार भाई।
— आनंद कुमार (वाट्सऐप से प्राप्त)
मुख्तार अनीस का जाना दुखद है।