मुंबई का फेफड़ा कहे जानेवाले ‘आरे वन’ को काटे जाने का विरोध

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5 जुलाई। मेट्रो कार शेड परियोजना को वापस मुंबई के आरे जंगल में स्थानांतरित करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ फिर से विरोध शुरू हो गया है। लोगों ने ‘आरे जंगल बचाओ’ की तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन को देखते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए वन क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में स्थानांतरित करने के मामले के बारे में राज्य सरकार द्वारा अपनी कानूनी टीम को बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित करने का आदेश देने के बाद पर्यावरणविदों द्वारा इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया।

पहले तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने मेट्रो कार शेड को आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। सीएम एकनाथ शिंद के शपथ लेने के तुरंत बाद परियोजना को वापस आरे में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख ‘हरित फेफड़े’ के रूप में जाना जाता है। साल 2019 में भाजपा-शिवसेना सरकार अपनी चल रही मेट्रो परियोजना के लिए इस वन-भूखंड पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी।

ज्ञात हो, कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और आम आदमी पार्टी सहित पर्यावरण कार्यकर्ताओं और कुछ राजनीतिक दलों ने रविवार को महाराष्ट्र सरकार के मेट्रो-3 कार शेड बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ उपनगरीय गोरेगांव में ग्रीन बेल्ट कहे जाने वाले आरे कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तख्तियां लिए हुए प्रदर्शनकारियों ने नई सरकार के मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को वापस मुंबई के आरे जंगल में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ नारे लगाए।

गुरुवार को शिंदे सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य प्रशासन को कांजुरमार्ग की जगह आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पिछली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के आधार पर प्रस्तावित इस कार शेड को आरे कॉलोनी से कांजुरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन यह मुद्दा कानूनी विवाद में उलझ गया। बता दें, कि ठाकरे सरकार ने भी ‘आरे’ को संरक्षित वन घोषित किया था। शिवसेना के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ इसकी युवा शाखा ‘युवा सेना’ का नेतृत्व करनेवाले पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं के अनुसार, जंगल न केवल शहर के लोगों को ताजी हवा देता है, बल्कि यह कुछ स्थानीय प्रजातियों सहित वन्यजीवों का एक घर भी है। वे कहते हैं, कि जंगल में लगभग पाँच लाख पेड़ हैं और इसमें कुछ नदियां और कुछ झीलें भी बहती हैं।

(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)

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