9 अगस्त से शुरू हुआ नफरतों भारत छोड़ो अभियान

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तब क्विट इंडिया नारा था अब quit hate होना चाहिए – मेधा पाटकर

जो सच बोलता है अन्याय का विरोध करता है, सरकार उसको जेल भेज देती है – दिग्विजय सिंह

9 अगस्त। अगस्त क्रांति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुंबई के गिरगांव चौपाटी से अगस्त क्रांति मैदान तक, बारिश के बीच, ‘नफरतों भारत छोड़ो’ पैदल मार्च किया गया। मार्च का नेतृत्व 1942 के आंदोलन में भाग लेकर 10 माह की जेल काटने वाले 98वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. जी जी परीख एवं 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी दत्ता गांधी कर रहे थे। मार्च में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार, महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, किसान नेता डॉ सुनीलम एवं सामाजिक कार्यकर्ता फिरोज मीठीबोरवाला सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।

मार्च में उपस्थित नेताओं ने अगस्त क्रांति मैदान में स्थित शहीद स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित की। उसके बाद गांधी बुक सेंटर में दत्ता गांधी की अध्यक्षता में आम सभा संपन्न हुई। अपने अध्यक्षीय संबोधन में दत्ता गांधी ने कहा कि 9 अगस्त 1942 को महाड़ में जब हमने तिरंगा फहराया, तब गोली चली। मेरे सामने मेरे साथी शहीद हो गए, तब मैंने संकल्प लिया था कि आजीवन आजादी के लिए संघर्ष जारी रखूंगा। आज आजादी फिर खतरे में दिखलाई पड़ रही है। इस लड़ाई को लड़ने के लिए मैं 100 वर्ष का होने के बावजूद आपके बीच में हूं।

डॉ जी जी परीख ने कहा कि 1942 में हमने क्विट इंडिया के नारे के साथ गांधीजी के नेतृत्व में आंदोलन किया था। मुझे 10 महीने अंग्रेजों ने जेल में रखा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जो सपना देखा था, वह आज भी अधूरा है। अब हमें क्विट हेट (नफरतों भारत छोड़ो) का नारा लगाते हुए देश के हर गांव और हर मोहल्ले में मुसलमानों, दलितों और ऐसे समूहों के बीच काम करना होगा जिनके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है।

मेधा पाटकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे तमाम फैसले कर रहा है जिससे कई बार ऐसा लगता है कि पीड़ित पक्ष के खिलाफ सुप्रीम इंजस्टिस किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें जन संघर्षों को तेज कर बड़े परिवर्तन की तैयारी करनी होगी।

हिमांशु कुमार ने कहा कि हम 16 आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए तो मुझ पर ही पांच लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। उन्होंने कहा कि मैं गांधीवादी हूं। जिस तरह गांधीजी ने चंपारण में 100 रुपये का जुर्माना देने से इनकार कर दिया था, उसी तरह गांधीजी की प्रेरणा से मैंने भी जुर्माना न देने की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन की लूट के लिए भारत के अर्धसैनिक बलों का उपयोग किया जा रहा है।

तुषार गांधी ने कहा कि समाज में नफरतें लगातार बढ़ रही हैं। इन नफरतों को खत्म किए बगैर देश को मजबूत नहीं बनाया जा सकता, समाज को एकजुट नहीं किया जा सकता। नफरतों के चलते इंसान इंसान से दूर होता जा रहा है तथा इंसानियत खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि नफरतों के खिलाफ आज शुरुआत हुई है, इस अभियान को देश के कोने-कोने तक ले जाना होगा।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का डॉ. जी जी परीख जी के नाम पत्र सौंपकर, नफरतों भारत छोड़ो अभियान के समर्थन की घोषणा की। उन्होंने सुधा भारद्वाज, सिद्दीक कप्पन और उमर खालिद का जिक्र करते हुए कहा कि जो समाज के लिए कार्य कर रहा है, सच बोल रहा है उसे सरकार जेल पहुंचा रही है।

उन्होंने कहा कि मैं जब मुख्यमंत्री था, नर्मदा बचाओ आंदोलनकारियों के साथ मुख्य सचिव को लेकर बैठता था। उन्होंने डॉ. सुनीलम का उल्लेख करते हुए मुलताई गोली चालन को लेकर खेद प्रकट किया।

फिरोज मीठीबोरवाला ने सर्वोच्च न्यायालय के तमाम फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस तरह के फैसले आ रहे हैं उससे कई बार लगता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था पीड़ित पक्षों के साथ लगातार अन्याय कर रही है, जिसके खिलाफ अब खुलकर बोलना जरूरी है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि नफरत खत्म करने के लिए संवाद करने, एक दूसरे को समझने, अपनी सोच का विस्तार और एक दूसरे को माफ करने की सोच विकसित करने की जरूरत है। लेकिन आज केंद्र सरकार खुद नफरत फैलाने वालों को खुला संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि नफरतों भारत छोड़ो नारे में हम सच्ची आस्था रखते हैं इसलिए आज मैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा कर रहा हूं जिनके कार्यकाल में मुलताई गोली चालन हुआ था। डॉ. सुनीलम ने वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक एकजुटता की अपील की।

डॉ सुनीलम ने कहा कि जिस तरह डॉ. लोहिया ने गैर-कांग्रेसवाद का नारा दिया था, उसी तरह अब गैर-भाजपावाद का नारा देकर ऐसे सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की जरूरत है जो भारत के संविधान और देश को बचाना चाहते हैं। उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ने के नीतीश कुमार के ऐलान को भारतीय राजनीति के लिए महत्त्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम का संचालन गुड्डी ने किया।

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