फसल : गेहूं
समय अवधि : 12 अप्रैल 2021
14 अप्रैल। प्रधानमंत्री और कृषिमंत्री यह बार-बार कह चुके हैं कि एमएसपी थी, एमएसपी है और एमएसपी रहेगी। लेकिन इन दिनों जब फसल खरीद का क्रम चल रहा है, प्रधानंत्री और मंत्रियों के बयानों की कलई एक बार फिर खुल गई है। जय किसान आंदोलन ने सरकारी खरीद के ही आंकड़ों का हवाला देते हुए एमएसपी के मद्देनजर किसानों की लूट का खुलासा जारी रखा है। हरेक फसल में किसानों को एमएसपी के बरक्स बदस्तूर घाटा उठाना पड़ रहा है। जब किसान को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य नहीं मिल पा रहा है तो समझा जा सकता है कि वे आंदोलन क्यों कर रहे हैं।
ताजा खुलासे के मुताबिक गेहूं में सिर्फ एक दिन में (12 अप्रैल को) किसानों को 8 करोड़ की चपत लगी। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ₹1975 निर्धारित किया था। लेकिन देश की लगभग सभी मंडियों में किसान को अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचनी पड़ी। जिसके कारण एक दिन में यानी सिर्फ 12 अप्रैल के दिन किसान को ₹8 करोड़ का घाटा सहना पड़ा।
गेहूं उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में गुजरात के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसकी 92 फीसदी फसल एमएसपी से नीचे बिकी। एक दिन में गुजरात के गेहूं उत्पादक किसान की कुल 2 करोड़ की लूट हुई जबकि राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसान की एक दिन में ₹1.56 करोड़ और ₹1.97 करोड़ की लूट हुई। वहीं पंजाब और हरियाणा के किसान की स्थिति कल गेहूं की फसल बेचने में बाकी प्रदेशों से बेहतर रही, इन दोनों प्रदेशों के किसान का गेहूं एमएसपी पर बिका। इसलिए पंजाब और हरियाणा के किसान की स्थिति बाकी प्रदेशों के किसान से कुछ बेहतर रही। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)
फसल : चना
समय अवधि : 13 अप्रैल 2021
सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ₹5100 निर्धारित किया था। लेकिन देश की लगभग सभी मंडियों में किसान को अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचनी पड़ी। जिसके कारण एक दिन में यानी सिर्फ 13 अप्रैल के दिन किसान को ₹77 लाख का घाटा सहना पड़ा।
चना उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में गुजरात के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसकी 83 फीसद फसल एमएसपी से नीचे बिकी। एक दिन में गुजरात के चना उत्पादक किसान की कुल 30 लाख की लूट हुई जबकि राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसान की एक दिन में ₹5 लाख और ₹27 लाख की लूट हुई। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)
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स्रोत: AGMARKNET