24 अप्रैल। दिल्ली के बार्डर्स पर बैठे किसानों को लगभग 150 दिन हो गए हैं। दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल समेत अनेक अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हुई है। सयुंक्त किसान मोर्चा ने अपने ताजा बयान में उन सब लोगों के प्रति संवदेना प्रकट की है जिनकी इस दौरान मौत हो गयी या जो संक्रमित हैं।
मोर्चा ने कहा है कि देशहित व इंसान हित में सोचते हुए किसानों ने पहले से ही दिल्ली के बार्डर्स की एक तरफ की सड़क इमरजेंसी सेवाओं के लिए खोली हुई है। किसान मोर्चा के वॉलंटियर्स सिंघु, गाज़ीपुर, टिकरी, शाहजहांपुर धरनों पर लगातार कोविड वारियर्स की भूमिका निभा रहे हैं। हर बॉर्डर पर एमरजेंसी सेवाओं के लिए रास्ते खुले हुए हैं। दो दिन पहले हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में तय हुआ था कि अब एक तरफ के बैरिकेड हटेंगे। हालांकि दिल्ली पुलिस ने अभी तक बैरिकेड नहीं हटाए हैं, पर दिल्ली में आनेवाले या जानेवाले वाहनों को किसानों की तरफ से किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसके बजाय किसान उचित रास्ते तक पहुँचने में कोविड वॉरियर्स की मदद कर रहे हैं।
सयुंक्त किसान मोर्चा कुछ सामाजिक कल्याण संगठनों व डॉक्टरों की मदद से धरना स्थलों पर सेनिटाइजेशन, मास्क वितरण तथा वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।टिकरी बॉर्डर पर डॉ सवाईमान सिंह के नेतृत्व में उनकी टीम किसानों के बीच जाकर कोरोना संबंधी जरूरी सावधानियां बरतने की हिदायत दे रही है।
शनिवार को सिंघु बॉर्डर मंच पर किसानों के संघर्ष में कला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए साहिब सिंह द्वारा निर्देशित नाटकों का मंचन किया गया। साथ ही पंजाबी कलाकार रविंदर ग्रेवाल ने भी प्रस्तुति देकर किसानों का हौसला बढ़ाया।
मोर्चा ने आरोप लगाया है कि सरकार के तमाम प्रयास रहे हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान न आएं। लेकिन फसल कटाई के बाद धरना स्थलों पर फिर किसानों की तादाद बढ़ने लगी है। वहीं पंजाब गवर्नमेंट टीचर्स एसोसिएशन के 100 से अधिक अध्यापक टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे। इन अध्यापकों के यहां पहुँचने पर किसानों ने खुशी जताई।