13 मार्च। दिल्ली मास्टर प्लान 2021 की समयावधि को समाप्त हुए भी एक साल से ज्यादा समय बीत गया है, और अब हम 2023 में हैं। नीलवाल गाँव के किसानों का कहना है, कि हमारी जमीन को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाकर पोर्टल के जरिए रजिस्ट्रेशन करवाकर बंधक बना लिया है। किसानों ने इन आरोपों के प्रमाण देते हुए बताया कि जब लैंड पूलिंग पॉलिसी नहीं बनी थी। उस समय हमारी जमीन के रेट 5 करोड़ रुपए प्रति एकड़ में भी किसान अपनी जमीन बेचने को तैयार नही थे, और जमीन खरीदने वाली पार्टी उनके चक्कर लगाती रहती थे।
रजिस्ट्रेशन के बाद तो हमारी जमीन को 2 करोड़ रुपए प्रति एकड़ की पार्टी भी नहीं मिल रही है। आज हालत यह है कि जिस किसान को किसी कारणवश मजबूरी में अपनी जमीन बेचनी पड़ रही है तो उसे प्रति एकड़ एक से डेढ़ करोड़ रुपए में ही बेचनी पड़ रही है। किसानों की माँग है, कि अब जब दिल्ली मास्टर प्लान 2021 की समयसीमा समाप्त हो गई है, और योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है तो ऐसे सभी किसानों की जमीन के रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाएं।
‘दिल्ली देहात मोर्चा’ और ‘जय किसान आंदोलन’ दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजीव यादव के अनुसार सर्वसम्मति से फैसला हुआ कि हम इसी तरह सभी 104 गाँवों के किसानों से सम्पर्क करेंगे और दिल्ली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व उपराज्यपाल के नाम एक पत्र लिखकर किसानों के हस्ताक्षर अभियान के तहत ज्यादातर किसानों की सहमति लेकर उपराज्यपाल के पास भेजेंगे। जिसमें माँग रखेंगे कि अगर किसानों की जमीन को मुक्त नहीं किया गया अर्थात इन किसानों की जमीन के रजिस्ट्रेशन को रद्द नहीं किया, तो किसान अपने आंदोलन को तेज करते हुए उपराज्यपाल निवास पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। किसानों की इस महत्वपूर्ण बैठक में नीलवाल गाँव के चौधरी दिलबाग सिंह, संतराम, साहिब सिंह, बिजेंद्र सिंह, कुलदीप, संजय, सुखबीर, वेदसिंह, राज सिंह, जयदेव, दलबीर, सत्यवान, जयप्रकाश, देवेंद्र सिंह, जितेंद्र डागर(समसपुर खालसा), राजीव यादव(दरियापुर खुर्द) इत्यादि किसानों ने भाग लिया।