जलियांवाला बाग और पंतनगर 1978 के गोलीकांड के शहीदों की याद में श्रद्धांजलि सभा

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13 अप्रैल। जलियांवाला बाग और पंतनगर में 1978 में हुए गोलीकाण्ड के शहीदों की याद में 13 अप्रैल को पंतनगर में विविध कार्यक्रम हुए। प्रभात फेरी, सभा के साथ शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इंकलाबी मजदूर केंद्र, ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं प्रगतिशील भोजन माता संगठन द्वारा पंतनगर के कालोनी मैदान से मजदूर बस्तियों से होते हुए शहीद स्मारक पंतनगर तक प्रभातफेरी निकाली गई और शहीद स्मारक पर सभा की गई। जिसमें परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथी भी शामिल रहे।

प्रभातफेरी में महिलाएं, बच्चे और मजदूर ढपली और ढोल बजाते गीत गाते हुए हाथों में लाल झंडे बैनर पोस्टर लिये 13 अप्रैल के शहीदों को लाल सलाम, जलियांवाला बाग के शहीदों को लाल सलाम, मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लो, महिलाओं से रात्रि में काम कराने का कानून रद्द करो, 8 घंटे काम, संगठित होने और यूनियन बनाने के अधिकार पर हमले बंद करो, पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, फासीवाद मुर्दाबाद, 13 अप्रैल के शहीदों की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाओ, समाजवाद जिंदाबाद, निजीकरण की जनविरोधी नीतियां रद्द करो, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति बन्द करो, इंकलाब जिंदाबाद, ठेका प्रथा खत्म करो आदि नारे लगा रहे थे।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज मजदूर आंदोलन कमजोर होने से आजादी के 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है, आसमान छूती महंगाई है। निजीकरण को बढ़ावा देते हुए मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 मजदूर विरोधी कोड में तब्दील कर दिया है जिसमें यूनियन बनाने और अधिकारों के लिए आंदोलन करना अपराध हो जाएगा। काम के घंटे 8 से 12 घंटे की पाली जाएगी। भोजन माता और आशाकर्मियों को मजदूर तक नहीं माना जा रहा है। सरकार 3 हजार रुपए में बेगारी करा रही है। महिलाओं के बलात्कार और हत्याओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग अपराधियों को बचा रहे हैं। शिक्षा का निजीकरण और भगवाकरण किया जा रहा है। हिंदू मुस्लिम का ध्रुवीकरण कर मजदूरों के आंदोलनों का दमन किया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार पंतनगर विश्वविद्यालय के बजट में लगातार कटौती कर रही है। बीस सालों से काम कर रहे ठेका मजदूरों को नियमित करना तो दूर, ठेका मजदूरों को पूरे महीने काम तक नहीं दिया जा रहा है, और उसका भी समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है।

(‘मेहनतकश’ से साभार)

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