23 मई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शक्तिशाली चक्रवात मोचा के बंगाल की खाड़ी में फटने के कुछ दिनों बाद, म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों के शवों का ढेर लग रहा है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि चक्रवात मोचा के बाद उसे रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों तक पहुँच से वंचित कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग(यूएनएचसीआर) ने कहा कि म्यांमार सरकार ने सितवे में स्वास्थ्य आपूर्ति वितरित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जहाँ अनुमानित 90 फीसदी रोहिंग्या घरों को नष्ट कर दिया गया है। देश की सैन्य सरकार ने स्वीकार किया है कि मरनेवालों की संख्या 145 से अधिक हो गई है, लेकिन निवासियों का कहना है, कि वास्तव में यह बहुत अधिक है।
विदित हो, कि रोहिंग्या म्यांमार में सताए गए अल्पसंख्यक हैं, और हजारों की संख्या में सितवे के बंदरगाह शहर के पास विस्थापित होकर ‘अवैध’ शिविरों में रहते हैं। इसे रखाइन राज्य के रूप में जाना जाता है। रखाइन राज्य की राजधानी सितवे में रहने वाले लोगों ने कहा कि उनका अनुमान है, कि रोहिंग्या लोगों के लगभग 90 फीसदी घर नष्ट हो गए, और 150 मील प्रतिघंटे से अधिक रफ्तार की हवाओं के कारण इस क्षेत्र में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। हालांकि शरणार्थी एजेंसी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग(यूएनएचसीआर) ने कहा, कि म्यांमार सरकार ने लगभग 100,000 लोगों के घर सितवे में शिविरों तक उनकी पहुँच से इनकार कर दिया है।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)