24 मई। हरियाणा सरकार द्वारा किसानों पर ढाए गए जुल्म के खिलाफ सोमवार को हजारों की संख्या में किसान हिसार में एकजुट हुए। कल से ही हरियाणा सरकार ने पुलिस बल व रैपिड एक्शन फोर्स के जरिए किसानों को डराना चाहा परंतु किसानों के हौसले बुलंद थे और हजारों की संख्या में वे ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, ट्रकों में आये। सोशल मीडिया पर यह फैलाया गया कि सुरक्षा बलों की 35 बटालियन लगाई गई हैं, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा समाज की 36 बिरादरी की एकजुटता ने सिद्ध कर दिया कि लोग अब जबर-जुल्म नहीं सहेंगे। सरकार इसके द्वारा जवानों और किसानों को लड़ाना भी चाहती है।
हिसार के क्रांतिमान पार्क में इकट्ठा होकर किसानों ने हिसार कमिश्नरेट का घेराव करने का एलान किया। प्रशासन के तमाम हमलों और साजिशों के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में किसानों के हिसार में आने के कारण दबाव में प्रशासन को तुरंत एक मीटिंग बुलानी पड़ी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं समेत हिसार के किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल को आमंत्रित किया गया।
प्रशासन के साथ चली लंबी बातचीत में किसानों की मांगें मान ली गईं व प्रशासन की तरफ से 16 मई की पुलिस कार्रवाई के लिए माफी मांगी गई। इस बैठक में मुख्य रूप से तीन निर्णय हुए।
1. 16 मई की घटना की बाबत किसानों पर दर्ज पुलिस केस वापस लिये जाएंगे।
2. आज की पंचायत में शहीद हुए किसान रामचंद्र के परिवार के योग्य सदस्य को जिला प्रशासन द्वारा सरकारी नौकरी दी जाएगी।
3. किसानों की गाड़ियां जो पुलिस द्वारा तोड़ी गई थीं, वे प्रशासन द्वारा ठीक करवाई जाएंगी।
संयुक्त किसान मोर्चा की विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि हरियाणा सरकार किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। किसानों पर कोरोना फैलाने का इल्जाम भी लगाया गया है। मोर्चा ने कहा है कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के कारण राज्य में कोरोना फैल रहा है। अगर किसानों ने हड़ताल की है तो वह मुख्यमंत्री के आने पर की है। मुख्यमंत्री खुद अगर किसानों के खिलाफ बयानबाजी व झूठे मुकदमे बंद करे दें और कोरोना का सही ढंग से नियंत्रण करें तो किसान इस तरह सड़कों पर नहीं निकलेंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत तमाम भाजपा व जजपा के नेता ही इन विरोध सभी प्रदर्शनों के लिए किसानों को मौका देते हैं ताकि कोरोना का इल्जाम किसानों पर लगाया जा सके और खराब स्वास्थ्य प्रबंधन से ध्यान हटाया जा सके।
आज क्रांतिमान पार्क में आयोजित सभा में उगालन के किसान रामचन्द्र के निधन पर शोक व्यक्त किया गया, जिनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।
दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर शहीद करतार सिंह सराभा का जन्म दिवस उत्साह से मनाया गया। करतार सिंह सराभा ने देश की आजादी से लेकर समाज परिवर्तन के लिए जनता को प्रोत्साहित किया था। इस आंदोलन में हजारों, लाखों युवाओं की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि देश की जनता करतार सिंह सराभा के विचारों का सम्मान करती है।
दिल्ली की सीमाओं समेत देश के तमाम किसान धरनों पर 26 मई को बुद्धपूर्णिमा मनाई जाएगी। शांति और सत्य के मार्ग पर चलनेवाले महात्मा बुद्ध ने हमेशा प्रगति का रास्ता दिखाया है। सरकार द्वारा लाए गए तीनों कानून पूरी तरह जुल्म और असमानता की वकालत करते हैं। किसानों का यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है सच के लिए लड़ा जा रहा है। दिल्ली के आसपास सभी किसान मोर्चो पर 26 मई की सुबह बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी एवं महात्मा बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया जाएगा।
किसान आंदोलन के 6 महीने पूरा होने और केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर 26 मई का विरोध दिवस सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज तेज करेगा। जहां एक तरफ किसान हर मौसम में हर स्थिति में अपने आप को मजबूत रखते हुए दिल्ली की सीमाओं पर 6 महीनों से संघर्ष कर रहे हैं, उसके विपरीत मोदी सरकार पिछले 7 सालों से किसानों समेत समाज के हर वर्ग का गहरा शोषण कर रही है। 26 मई का दिन देश के तमाम जनवादी संगठन विरोध दिवस के तौर पर मनाएंगे व केंद्र सरकार को एक सीधा संदेश देंगे कि लोकतंत्र में लोग बड़े होते हैं, तंत्र नहीं।