2 जून। एक तरफ रेलमंत्री लगातार सार्वजनिक मंचों पर आकर दिलासा देते हैं कि रेलवे को निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा, वहीं दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड ने वर्कर्स स्टडी कमेटी को उत्तर पश्चिम रेलवे सहित देश के सभी 16 जोनल रेलवे से कुल 13450 पद खत्म करने के निर्देश दिये गये हैं।
रेलवे में इस वर्ष 13,450 पद खत्म करने के फरमान से रेलवे कर्मचारी संगठनों में रोष है। इस फैसले को वापस नहीं लिये जाने पर आल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) ने आंदोलन की चेतावनी दी है। सबसे ज्यादा पद नार्दर्न रेलवे में खत्म किए जाएंगे।
फेडरेशन का कहना है कि इस संकट के दौर में ट्रेन व मालगाड़ियों का परिचालन करने के लिए रेल कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं, इसके बावजूद रेलवे प्रशासन कर्मचारी विरोधी फैसले ले रहा है।
एआइआरएफ ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखकर तुरंत इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।
उ. प. जोन के यूनियन के महामंत्री मुकेश माथुर और मजदूर संघ के अध्यक्ष विनोद मेहता ने कहा ‘पहले ही रेलवे में 15 हजार पद रिक्त हैं। ऐसे में 600 पद खत्म करना अनुचित है।’
पिछले दिनों रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को पत्र लिखकर गैरजरूरी पदों को समाप्त करने को कहा है। सबसे ज्यादा 2,350 पद उत्तर रेलवे में खत्म होंगे। रेलवे बोर्ड के इस आदेश से कर्मचारियों में नाराजगी है।
एआइआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रेलवे कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ट्रेन व मालगाड़ी के सुचारु परिचालन के साथ ही विभिन्न राज्यों में आक्सीजन की कमी दूर करने के लिए आक्सीजन एक्सप्रेस चला रहे हैं।
इस दौरान कई कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए और कई लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि यदि रेलवे बोर्ड ने आदेश वापस नहीं लिया तो इस महामारी के बीच कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे।
दूसरी तरफ सरकार के इस कदम से भारतीय रेलवे में नौकरी की तलाश करनेवाले अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
( workersunity.com से साभार )