सोनम को खलनायक बनाकर गलती कर रही है दिल्ली

0
Delhi is making a mistake by making Sonam a villain.

Rakesh Achal

— राकेश अचल —

लेह-लद्दाख के अधिकारों के लिए गांधीवादी तरीके से आंदोलनकारी सोनम वांगचुक को खलनायक बनाकर भारत सरकार शायद उसी गलती को दोहरा रही है जो उसने मणिपुर के मामले में की.गृह मंत्रालय ने लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए सोनम वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराया है और कहा है कि कार्यकर्ता ने अपने भड़काऊ बयानों के ज़रिए भीड़ को उकसाया। सरकार ने कहा कि लेह में स्थिति शाम 4 बजे तक नियंत्रण में आ गई थी

मणिपुर और लेह लद्दाख के आंदौलन में जमीन आसमान का अंतर है. मणिपुर को हिंदू राज्य बनाने के लिए कुकी और मैतेयी समूह को आपस में लडवाया गया. बडे पैमाने पर पूजाघर जलाए गए और सशस्त्र हिंसा को राज्य सरकार ने रोकने के बजाय उसे हवा दी. सरकार ढाई साल तक मणिपुर को जलता देखती रही.

लेह में परिदृश्य अलग है. लेह लद्दाख में लोग समूहों में विभक्त नहीं हैं. वे गांधीवादी तरीके से आंदोलनरत हैं और संवाद के लि पैदल चलकर दिल्ली तक गए. लेह लद्दाख में कोई पूजाघर नहीं जलाया गया. यहाँ भाजपा का दफ्तर आग के हवाले किया गया. पुलिस की गोली से 4लोग मारे गए और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए. लद्दाख लेह का आंदोलन एक सुलझे हुए व्यक्ति के हाथ में है जो नवाचारों के लिए लोकप्रिय है.

लेह लद्दाख में हिंसा और आगजनी के बाद सरकारी बयान में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि श्री सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के ज़रिए भीड़ को उकसाया था। संयोग से, इस हिंसक घटनाक्रम के बीच, उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गंभीर प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गाँव के लिए रवाना हो गए।”

आपको याद होगा कि लेह लद्दाख छह साल पहले तक जम्मू काश्मीर का अंग था लेकिन केंद्र ने धारा 370 हटाने की सनक में जम्मू आश्मीर के तीन टुकडे कर उसे केंद्र शाशित बना दिया. आज लेह लद्दाख की जनता का न अपना कोई विधायक है न साओसद. यहां की जनता क्षेत्र को संविधान के अनुच्छेद छह में शामिल कर स्वायत्तता की मांग कर रही है जो केंद्र को मंजूर नहीं.

केंद्र ने शीर्ष निकाय, लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उच्चस्तरीय समिति की बैठक के लिए 6 अक्टूबर की तारीख पहले ही तय कर दी थी, और एबीएल द्वारा प्रस्तावित उच्चस्तरीय समिति के लिए नए सदस्यों पर भी सहमति बन गई थी।

लद्दाख को पूर्ण राज्य के दर्जे दिए जाने को लेकर और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने को लेकर सोनम वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। लेकिन प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के बाद उन्होंने हड़ताल को खत्म करने का निर्णय लिया.

लेह लद्दाख की प्रकृति शांत है. ये इलाका सामरिक नजरिए से भी महत्वपूर्ण है. यहाँ की जनता बिना वर्दी की सैनिक मानी जाती है. यहाँ विकास की अंधी दौड कभी शुरु नहीं हुई लेकिन 11 साल में लेह लद्दाख के साथ केंद्र ने संवेदनशील रवैया नहीं अपनाया. अब लेह लद्दाख बेकाबू हो रहा है. कोई माने या न माने लेकिन हकीकत यही है कि लेह लद्दाख की जनभावनाओं की कद्र नहीं की जा रही है. सरकार लेह लद्दाख की जनता को,’ईडियट’, समझ रही है. लेकिन ऐसा है नहीं. यहाँ की जनता राष्ट्रभक्त, शांत, धर्मप्रेमी है. उसे गोली से दबाया जा सकता.दबाया नही चाहिए.क्योंकि लेह लद्दाख में नयी जनरेशन जेनजी है परिदृश्य मे.

हमें उम्मीद करना चाहिए कि मणिपुर में नाकाम रही सरकार लेह लद्दाख को जलने से बचाने के लिए संवाद का दरवाजा खुला रखेगी.और लद्दाख को मणिपुर की तरह राख मेंनही बदलने नहीं देगी.


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment