शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर लखनऊ में धरना

0

29 जून। उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती के लिए लखनऊ के निशातगंज में पिछले 7 दिनों से चल रहे धरने को और मजबूत करने के लिए यूथ फॉर स्वराज समेत कई संगठनों व अभ्यर्थी समूहों के 28 जून को धरने में शामिल होने के आह्वान पर प्रदेश भर के युवा महाधरने में शामिल हुए और उनकी माँगें पूरी न होने तक महाधरना को जारी रखने का संकल्प लिया।

शिक्षक बनने के लिए क्वालिफाइड पर सरकार की संवेदनहीनता व अक्षमता से बेरोजगार रहने को अभिशप्त युवा अलग-अलग माँगों को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी की माँगें एक ही जैसी हैं कि शिक्षक भर्ती शुरू की जाए। राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में लाखों पद खली पड़े हैं, जिसकी वजह से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।

जब राज्य में 68,500 पदों पर भर्ती निकली थी तो उसमें से 22,000 पद खाली रह गए थे। सरकार ने उस समय यह कहा था कि इन पदों को अगली भर्ती परीक्षा में जोड़ दिया जायेगा, जबकि ऐसा नहीं हुआ और 69 हज़ार पदों पर अलग से भर्ती तो निकली पर उसमें ये पद नहीं जोड़े गए। और नई रिक्तियों को मिलाकर कुल 97 हजार पदों पर भर्ती निकालने की माँग है। वहीं दूसरी ओर आंदोलन कर रहे युवाओं का आरोप है कि सरकार ने भर्ती प्रक्रियाओं में आरक्षण को भी सही ढंग से लागू नहीं किया है।

आंदोलन में शामिल विकलांग ग्रुप की माँग है कि नियमानुसार उन्हें 4% आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन पिछली भर्ती में उन्हें इस से वंचित रखा गया है।

वहीं एससी-ओबीसी आरक्षित वर्ग के हकों के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं का कहना है कि नियमानुसार वे 21 फीसदी व 27 फीसदी आरक्षण के हकदार हैं लेकिन ओबीसी वर्ग को 69 हजार भर्ती में 4 प्रतिशत से भी कम आरक्षण का लाभ मिला है। एससी वर्ग में भी 21 प्रतिशत का लाभ नहीं मिला। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में यही माना और सरकार को रिपोर्ट भेजी है। लेकिन सरकार उसे दबा कर बैठ गई है जो सरकार की नीयत को संदिग्ध बनाता है।

प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा युवा हैं जिन्होंने टेट की परीक्षा को पास किया है लेकिन सभी बेरोजगार हैं और जीवनयापन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इसलिए सरकार को तुरंत भर्ती परीक्षा निकलनी होगी। खुद सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश की भाजपा सरकार ने हलफनामा देकर बताया था कि 51 हज़ार पदों पर भर्ती शुरू करेंगे। लेकिन अपने उस वादे को वह भूल गयी।

यूथ फॉर स्वराज यूथ कैबिनेट सदस्य पुष्कर पाल ने कहा, “उत्तर प्रदेश के युवाओं में गहरी बेचैनी है, सरकार की गोल-मोल बातों में युवा आने वाले नहीं हैं, युवाओं को ठोस परिणाम चाहिए।”

यूथ फॉर स्वराज एम्प्लॉयमेंट फ्रंट के संयोजक अंकित त्यागी ने कहा “अगर योगी सरकार का यही रवैया बना रहा तो मजबूरन उत्तर प्रदेश के युवाओं को आंदोलन और तेज करना होगा। नौकरी के अभाव में युवा घोर अवसाद से जूझ रहे हैं और सरकार से उनकी निराशा बढ़ती जा रही है।”

मीडिया सेल, यूथ फॉर स्वराज/9429425810

Leave a Comment