पेंच बाँध परियोजना में हो रहे भ्रष्टाचार का श्रेय भी कांग्रेस और भाजपा लेंगी क्या?

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— एड. आराधना भार्गव —

प्रतिदिन अखबारों में हम पेंच परियोजना की नहरों के भ्रष्टाचार को पढ़ रहे हैं, बाँध और नहर बनाने की होड़ में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने सामने दिखाई दे रही हैं, किन्तु कच्चे बाँध के निर्माण तथा पेंच परियोजना की बड़ी व छोटी नहरों की गुणवत्ता के सवाल पर दोनों पार्टियां चुप क्यों हैं? क्या ये भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं?

माॅचागोरा बाँध बनने के पूर्व ही नहरों का काम शुरू कर दिया गया। वर्ष 2010 से ही नहरें बननी शुरू हो गयीं, और नहरों के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर पहुंच गया। दिनांक 20 जुलाई 2010 को एक पंचनामा बनाया गया जिसमें आर.बी.सी. की आर.डी. 17970, 17850 एवं 17670 पर बने हुए स्ट्रक्चर तीन सी.डी. का जिला पंचायत द्वारा गठित समिति द्वारा भौतिक सत्यापन किया गया, जिसमें 13 ग्रामीण जनों के अलावा जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक दिनांक 28/05/2010 में पूर्व विधायक दीपक सक्सेना एवं अध्यक्ष जिला पंचायत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पेंच परियोजना की आर.बी.सी. के बने हुए स्ट्रक्चर का भौतिक सत्यापन का निर्णय लिया गया था, तथा समिति गठित की गयी थी।

समिति में चौरई के विधायक स्व. मेरसिंग चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष सीताराम डेहरिया, उपाध्यक्ष अमित सक्सेना, सदस्य तीरथ ठाकुर, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर.एस. ठाकुर, कार्यपालन यंत्री महेश्वर धोटे, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण सेवा संभाग छिन्दवाड़ा आर.एस. साहू उपस्थित थे। जाँच कमेटी ने सी.डी. (आर.डी) 17670 में नहरों हेतु मिट्टी की भराई का कार्य अपूर्ण पाया। दोनों कतारों के पाईप हेतु 3.310 मी. विंगवाल अपस्ट्रीम फेस पर बनायी गयी पाया गया जिसमें 40 सेमी. फाउंडेशन कांक्रीट एम10 ए40 का प्रावधान था तथा विंगवाल की ढलाई एम15 ए40 का प्रावधान था। प्रथम दृष्टया कांक्रीट की क्यूरिंग अपर्याप्त पायी गयी तथा कांक्रीट मिक्स भी मापदण्डानुसार नहीं पाया गया। कांक्रीट की गुणवत्ता स्तरहीन पायी गयी। उपरोक्त कार्य में ठेकेदार द्वारा क्यूरिंग में एवं कांक्रीट मिक्स करने में लापरवाही पायी गयी। इसी प्रकार सी.डी. (आर.डी.) 17850 में भी निरीक्षण दल द्वारा निरीक्षण के दौरान पक्के कार्य में कांक्रीट की क्यूरिंग अपर्याप्त पायी गयी, तथा कांक्रीट मिक्स भी मापदण्डानुसार नहीं होना पाया गया। सी.डी. (आर.डी.) 17970 में भी कांक्रीट सीमेंट एवं रेत के अनुपात में निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप नहीं पाया गया तथा स्ट्रक्चर भी कमजोर पाया गया।

जाँच कमेटी ने पाया कि एजेन्सी द्वारा मापदण्डों का पालन नहीं किया गया है। जाँच दल ने पंचनामा कार्यों के ड्राईंग, फोटोग्राफ, निरीक्षण का वीडियो एवं सी.डी.भी बनायी थी। इतना सबकुछ होने के बाद भी जाँच दल ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, यह जाँच दल पर सवालिया निशान है। अगर जाँच दल उसी वक्त दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता तो आज माॅचागोरा बाँध का पानी छिन्दवाड़ा जिले के सभी किसानों तक पहुँचता तथा सिवनी जिले के किसान भी इसका लाभ उठा सकते थे।

कांग्रेस के संज्ञान में पेंच परियोजना की नहर का भ्रष्टाचार पहले ही आ चुका था, उसके बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई न करना भ्रष्टाचार में कांग्रेसियों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। छिन्दवाड़ा जिले में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की भूमिका में है। पेंच बाँध परियोजना की नहरों के भ्रष्टाचार की कहानी प्रतिदिन अखबारों में छपने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को नहीं घेरती, इससे स्पष्ट होता है कि छिन्दवाड़ा जिले में सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना माचागोरा पेंच डायवर्सन प्रोजेक्ट के भ्रष्टाचार में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की मिलीभगत है।

पेंच नदी, छिंदवाड़ा

छिन्दवाड़ा जिले में सिंचाई का प्रतिशत आसपास के जिलों की तुलना में बहुत कम है। जिले में सबसे ज्यदा सिंचित क्षेत्र चौरई ब्लाक में था, उसी सिंचित क्षेत्र में माॅचागोरा बाँध किसानों के विरोध के बावजूद बना दिया गया। किसान संघर्ष समिति बाँध की शुरुआत से कहती रही है कि कच्चे बाँध का कैचमेंट एरिया इतना बड़ा नहीं हो सकता, जितना माॅचागोरा बाँध का है। जिस क्षेत्र में बाँध बनाया जा रहा है वह जिले का सबसे सिंचित एरिया है और वहाँ के किसान चार फसलें पैदा करके स्वयं तथा जिले की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक हैं।

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों अडानी के इशारों पर चलती हैं और अडानी को पेंच पाॅवर प्रोजेक्ट में लाभ पहुँचाने के लिए माॅचागोरा बाँध बनाया गया है, और इसी कारण नहरों के भ्रष्टाचार पर दोनों पार्टियां बोलने को तैयार नहीं हैं। 583 करोड़ की लागत वाली परियोजना 2003 में मंजूर हुई थी। पेंच व्यपवर्तन परियोजना भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण जिले के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बाँध के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप बाँध में दरारें आना शुरू हो चुकी हैं, बाँध का पानी खाली करके पुनः नदी में छोड़ा जा रहा है।

किसान संघर्ष समिति द्वारा लगातार सरकार का ध्यान कच्चे बाँध के कैचमेंट एरिया तथा तकनीकी गलतियों की तरफ धरना-विरोध प्रदर्शन के माध्यम से आकृष्ट किया गया। इस दौरान किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारी तथा आन्दोलनकारी किसानों पर फर्जी मुकदमे लादे गये, और कई बार उन्हें जेल के सींखचों के अन्दर भी डाला गया। पेंच व्यपवर्तन परियोजना की तकनीकी खामियों के फलस्वरूप मध्यप्रदेश सरकार ने पेंच डायवर्सन परियोजना बन्द करने का फैसला किया। मध्यप्रदेश सरकार ने सितम्बर 2011 में परियोजना बन्द करने का ऐलान कर दिया, उस वक्त मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंशसिंह थे और अपना राजनीतिक भविष्य बनाने के लिए परियोजना पुनः चालू करवाने की मांग रखी। स्व. हरवंशसिंह ने माॅचागोरा बाँध की तकनीकी गलती एवं भ्रष्टाचार पर ना तो कोई अंकुश लगाया और ना ही दोषियों पर कोई कार्रवाई की। सिवनी जिले की जनता को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर जनता के वोट तो हासिल कर लिये किन्तु पानी उपलब्ध नहीं करा पाये।

जिले के विकास के लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करनेवाला व्यक्ति भी अपना योगदान देता है। गरीबों के पैसे का इस तरह बन्दरबांट करना क्या जिले की जनता के हित में है? आइए हम सब मिलकर पेंच व्यपवर्तन परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार को उजागर कर भ्रष्टाचारियों को जेल के सींखचों के अन्दर पहुँचाएं, तभी भारत के संविधान की उद्देशिका ‘हम भारत के लोग’ का उद्देश्य पूरा कर पायेंगे। भारत के संविधान के अनुच्छेद 51(क) के तहत यह हमारा कर्तव्य है और हम अपना कर्तव्य तब पूरा कर पाएंगे जब भ्रष्टाचार तथा भ्रष्टाचारियों का साथ और संरक्षण देनेवाले राजनीतिक दलों का पर्दाफाश करेंगे।

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