Tag: मधु लिमये
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 17वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रवाद और जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना निःसंदेह मुसलमानों के सबसे शक्तिशाली नेता थे। जिन्ना साहब और गांधीजी का अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : सोलहवीं किस्त
सर सैयद अहमद खां ने ‘कौम’ शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया है। इंडिया एसोसिएशन, लाहौर द्वारा उन्हें दिए गए मानपत्र के जवाब...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : पंद्रहवीं किस्त
जब हिंदुओं में आधुनिक विद्या का प्रसार होने लगा और प्रशासनिक सेवाओं में उनको अधिक स्थान मिलने लगे तो प्रतिक्रियास्वरूप मुसलमानों में दो तरह...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 14वीं किस्त
भारतीय राष्ट्र, भारतीय राष्ट्रवाद
अंग्रेजों की यह धारणा बन गयी थी कि 1857 के विद्रोह के पीछे मुख्यतः मुसलमान थे, जबकि वस्तुतः ऐसी बात नहीं...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 12वीं किस्त
सन 1857 के विद्रोह को अत्यधिक सख्ती और खूबी के साथ दबाने में सर जॉन लारेंस (अंग्रेज अफसर) अग्रणी था। इस विद्रोह के बारे...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 11वीं किस्त
अंग्रेज और सैन्य प्रबंध
प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का राज सारे हिंदुस्तान में फैल गया। अंतिम स्वतंत्र राज्य सिख राज्य था जिसकी भी...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : दसवीं किस्त
जब अंग्रेजी हुकूमत में यह हालत थी तो उसके पूर्व क्या होता होगा?पेशवाओं का राज विशुद्ध ब्राह्मणी राज बन गया था। समानता नाम की...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : नौवीं किस्त
परंपरागत हिंदू कानून के अनुसार अगड़ी यानी उच्च जातियों में विधवाओं के पुनर्विवाह का निषेध था। कतिपय आधुनिक विद्वान पुनर्विवाह के पक्ष में कुछ...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : आठवीं किस्त
न्याय प्रणाली में परिवर्तन
सन 1857 के विद्रोह के बाद भारत में अंग्रेजों की हुकूमत सीधे इंग्लैण्ड की सरकार के हाथ में चली गयी। कुछ...
स्वतंत्रता की विचारधारा – मधु लिमये : सातवीं किस्त
अंग्रेजी हुकूमत की स्थापना के बाद बंगाल की जो हालत हुई उसके बारे में बेचर नाम के कलकत्ता कौंसिल के एक सदस्य ने 1769...