Tag: डॉ. योगेन्द्र
आप कहां हैं अरावली के शेरो! – डॉ योगेन्द्र
पता नहीं आदमी अपने आप को क्या समझता है? सत्ता में पहुंचते ही ऐंठ जाता है। आंखों पर मोटी पट्टी और दिमाग में गोबर।...
रिश्तों की मृत्यु कहीं आदमी की मृत्यु तो नहीं! – डॉ...
जापान में एक कंपनी है - फैमिली रोमांस। यह कंपनी लोगों को पिता, पति, दोस्त और अन्य रिश्तेदार उपलब्ध करवाती है। ऐसी कई पेशेवर...
तर्क, ज्ञान और अंधश्रद्धा – डॉ योगेन्द्र
धूप खिली है। ठंड है भी और नहीं भी। सुबह ठंड रहती है। धूप उगते ही ठंड अपनी दुनिया समेट लेती है। दिसंबर के...
महात्मा गांधी की दृष्टि और वकील और डॉक्टर – डॉ योगेन्द्र
प्रकृति कितनी रहस्यमय है! एक छिपकली है - जीला मान्स्टर। वह साल भर में मात्र एक या दो बार खाती है। वैज्ञानिकों ने उसकी...
लोकतंत्र पर मंडराते खतरे – डॉ योगेन्द्र
संसद में ‘ मैया खौकी, बेटा खौकी’ की तर्ज पर बहस चल रही है। सांसदों ने संसद को धींगामुश्ती की जगह बना दी है।...
पुनर्जागरण की जरूरत और पाखंडियों के स्वर – डॉ योगेन्द्र
विमल राय की एक फिल्म है -’सुजाता ‘। जब मैं महज एक वर्ष का था, तब यह फिल्म बनी थी यानी 1959 में। ब्लैक...
सैंया भये कोतवाल – डॉ योगेन्द्र
सुबह सूरज ठीक से उगा नहीं। सूरज पर कटे कटे बादल छाये रहे। ठंड के कारण खिड़कियां बंद रहती हैं, इसलिए चिड़िया के स्वर...
असली लोकतंत्र का दृश्य: जेसीबी में लटके युवक – डॉ योगेन्द्र
सड़क किनारे जो झुग्गियां बना कर रहते हैं, वे देश के नागरिक हैं या नहीं? क्या देश के नागरिक वहीं हैं जो मुफ्त में...
मुख्यमंत्री का कारुणिक अवसान बहुत कुछ कहता है – डॉ योगेन्द्र
ठंड हल्की फुल्की ही है। शीशे की खिड़कियों से आम के पेड़ों पर चिड़िया बैठी दिखाई दे रही है। सूरज उग कर पूरब क्षितिज...
राजनीति में लैटरल इंट्री – डॉ योगेन्द्र
देश में बहुत सी घटनाएं घट रही हैं। चोर दरवाजे से आई ए एस बनाये जा रहे थे, अब मंत्री तक बनाए जा रहे...




















