मौजूदा हालात में एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम

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(29 अगस्त 2021को नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में संविधान बचाओ देश बचाओ सम्मेलन हुआ, जिसकी रपट हम 30 अगस्त के अंक में दे चुके हैं। इस सम्मेलन में देशभर में संयुक्त अभियान चलाने के मकसद से एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रस्ताव आम सहमति से पारित किया गया। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि प्रस्ताव में व्यक्त चिंता और संकल्प को सब तक पहुंचाना और इसे राष्ट्रीय चिंता और राष्ट्रीय संकल्प का विषय बनाना जरूरी है। लिहाजा, यह पूरा प्रस्ताव यहां दिया जा रहा है।)

1. भारत का संविधान तथा इसके मौलिक सिद्धांत, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्य, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति और शांतिपूर्ण प्रतिरोध की आजादी भाजपा की मोदी सरकार के सात वर्षीय शासन में गंभीर खतरे में है। अतः हम भारत के गणतांत्रिक संविधान को बचाएंगे तथा इसके मूल्यों की रक्षा करेंगे।

2. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की निरंतर जन-विरोधी आर्थिक नीतियों तथा कोरोना महामारी से निपटने में भारी विफलता के कारण देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है जिसके परिणामस्वरूप लाखों नौकरियों का अभूतपूर्व नुकसान हुआ है और बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हुई है। अतः हम ऐसी जनहितकारी एवं रोजगारमूलक आर्थिक नीतियां बनाएंगे ताकि देश के युवाओं को प्रतिवर्ष लाखों नौकरियों तथा रोजगार के समुचित अवसर मिलें और वे सम्मान के साथ जी सकें। खेती और उद्योगों में रोजगारमूलक तकनीक को प्राथमिकता देंगे तथा मनरेगा में कार्य दिवस और पारिश्रमिक बढ़ाएंगे।

3. कोरोना महामारी में लाखों लोगों को अस्पताल की कमी, समुचित स्वास्थ्य सेवा के अभाव, आवश्यक जीवन-रक्षक दवाओं की भारी कमी और ऑक्सीजन न मिलने से असमय जान से हाथ धोना पड़ा। अतः हम संपूर्ण देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा तथा ग्रामीण और शहरी भारत के प्रत्येक जिले के प्रखंड में एक सरकारी अस्पताल का निर्माण करेंगे तथा सबसे निचली प्रशासनिक इकाई में स्वास्थ्य एवं उपचार की समुचित व्यवस्था करेंगे।

4. शिक्षा किसी समाज की सफलता तथा विकास की कुंजी है किंतु नरेंद्र मोदी सरकार लगातार सरकारी शिक्षण संस्थानों को बर्बाद कर रही है और स्कूल से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों को निजीकरण की ओर धकेलकर शिक्षा का बाजारीकरण कर रही है। इसके कारण समाज के वंचित और हाशिये पर स्थित लोग शिक्षा नहीं ले पाएंगे। अतः हम सरकार के द्वारा सभी के लिए कक्षा 12 तक समान तथा गुणवत्तापूर्ण मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करेंगे।

5. कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आधारशिला है किंतु नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में अलोकतांत्रिक तरीके से तीन कृषि विरोधी कानून पारित कराकर खेती को कॉरपोरेट के हवाले करने का षड्यंत्र किया है और किसानों के कृषि उत्पाद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त कर दिया है। केंद्र सरकार सोच-समझकर कृषि के निजीकरण को बढ़ावा देकर पूंजीपतियों और निगमों को उनके लाभ के लिए सौंप रही है। अतः हम तीनों कृषि विरोधी कानूनों को तुरंत निरस्त कर, कृषि उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करेंगे। हम संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 9 माह से चलाये जा रहे आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हैं और आंदोलन में शहीद किसानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

6. विकास के नाम पर ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के जमीन, जल और जंगल पर कब्जा तथा जीवन के संसाधनों को छीनकर बनती महाकाय करोड़ों की योजनाओं के कारण आदिवासी किसान, मछुआरे, शहरी गरीब आदि समुदाय विस्थापित और वंचित हो रहे हैं। अतः हम स्थानीय समाज का संसाधनों पर अधिकार, ग्रामसभा के पेसा कानून के तहत तथा संवैधानिक दायरे में उनकी हकदारी सुनिश्चित करेंगे।

7. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार श्रमिकों के प्रतिरोध और हड़ताल के लोकतांत्रिक अधिकार को समाप्त करने के लिए मजदूर एवं श्रमिक विरोधी चार श्रम संगीता लायी है। अतः हम चार श्रमिक विरोधी लेबर कोड को तुरंत रद्द करेंगे और श्रमिकों के प्रतिरोध और हड़ताल के लोकतांत्रिक अधिकार को सुनिश्चित करेंगे।

8. राजद्रोह कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) जैसे तमाम नागरिक स्वतंत्रता विरोधी कानूनों का नरेंद्र मोदी सरकार के काल में पुलिस तथा अन्य सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा नागरिक समाज और मानव अधिकार संगठनों के लोकतांत्रिक आंदोलन के दमन के लिए नग्न दुरुपयोग आम बात हो गयी है जो सीधे-सीधे संविधान और लोकतंत्र पर हमला है। अतः हम ऐसे तमाम नागरिक स्वतंत्रता विरोधी कानूनों को तुरंत समाप्त करेंगे और नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रतिरोध और असहमति के अधिकार को सुनिश्चित करेंगे।

9. मोदी सरकार के काल में लगातार दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है और सरकारी एजेंसियां तथा उनके अधिकारों की रक्षा करनेवाले संवैधानिक और सरकारी आयोग मूकदर्शक बने हुए हैं। अतः हम ऐसे सख्त कानून बनाएंगे और उसे प्रभावकारी तरीके से लागू करेंगे ताकि ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।

10. संवैधानिक तथा सरकारी संस्थाओं की स्वतंत्रता के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की अधिनायकवादी कार्यप्रणाली तथा उनके उग्र समर्थकों के कारण ऐसी संस्थाओं की स्वतंत्रता के लिए लगातार खतरा बढ़ रहा है और ये संवैधानिक तथा सरकारी संस्थाएं स्वतंत्र व निर्भीक होकर अपने संवैधानिक दायित्व और कर्तव्यों का पालन नहीं कर पा रही हैं। अतः हम ऐसे राजनैतिक वातावरण का निर्माण करेंगे ताकि ये संवैधानिक संस्थाएं तथा सरकारी एजेंसियां यथा न्यायपालिका, चुनाव आयोग, आरबीआई, सीएजी, सीबीआई, ईडी आदि स्वतंत्र तथा निर्भय होकर संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सकें।

11. निजीकरण तथा मोनेटाइजेशन के नाम पर सरकारी बैंक और बीमा कंपनियों सहित सार्वजनिक उपक्रमों की नीलामी, सरकारी संपत्तियों की औने -पौने दाम पर मेगा बिक्री, खास पूंजीपतियों की सहयोगी भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक मंत्र हैं। अतः हम सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संपत्तियों की रक्षा करेंगे और इसे अधिक से अधिक सशक्त बनाएंगे ताकि इसमें अधिक रोजगार के अवसर बढ़ें और जनहित का कार्य हो।

12. मीडिया लोकतंत्र की जीवन रेखा है किंतु मीडिया संस्थानों पर निगमों के वित्तीय नियंत्रण तथा नरेंद्र मोदी सरकार के काल में सरकारी एजेंसियों के भय के कारण कई सारी मीडिया संस्थाएं मोदी सरकार तथा उसके वैचारिक संगठनों के मुखपत्र का कार्य कर रही हैं। अतः हम ऐसा राजनीतिक वातावरण सुनिश्चित करेंगे ताकि मीडिया स्वतंत्रतापूर्वक व भयमुक्त होकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ तथा नागरिक स्वतंत्रता के सजग प्रहरी के रूप में कार्य कर सके।

13. भाजपा और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारतीय राज्य तेजी से एकफासीवादी राज्य में बदलता जा रहा है इसलिए हम लोकतंत्र की रक्षा करेंगे, धर्मनिरपेक्षता तथा बहुलता को पुनर्स्थापित करेंगे, और सबसे बढ़कर भारतीय राज्य को एक सच्चा कल्याणकारी राज्य बनाएंगे ताकि दलितों, आदिवासियों, पिछड़े, अल्पसंख्यक व महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो सके।

14. भ्रष्टाचार व अपराधी मुक्त राजनीति और ईवीएम मुक्त निर्वाचन के प्रति हम प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। हम राजनीतिक दलों के वित्तीय संसाधनों को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाकर राजनीति को पारदर्शी तथा उत्तरदायी बनाएंगे। हम चुनाव सुधार करके राज्य के द्वारा निर्वाचन के लिए वित्तीय कोष का प्रावधान करेंगे ताकि निर्वाचन में धन-शक्ति का प्रभाव न्यूनतम किया जा सके।

(संविधान बचाओ देश बचाओ सम्मेलन आयोजन समिति के सदस्य- 1.जस्टिस कोलसे पाटिल, 2.अरुण कुमार, 3.बीआर पाटिल, 4.श्याम रजक, 5.अरुण श्रीवास्तव, 6.डॉ सुनीलम, 7.शंकर आजाद, 8.कमल किशोर कठेरिया, 9.लारैब अकरम, 10.शशि शेखर सिंह 11.यादव रेड्डी)

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