Tag: रवीन्द्रनाथ
एकला चलो रे.. ताकि पथ नये खुलते रहें
— शिवदयाल —
यह भी एक पुकार ही तो है - ‘यदि तुम्हारी पुकार पर/कोई नहीं आता/अकेले ही चले चलो.....’ सोचकर विस्मय होता है, जिस...
आनंदमठ का पुनर्पाठ
— डॉ कश्मीर उप्पल —
बंकिमचंद्र का उपन्यास ‘आनंदमठ’ पुस्तकाकार प्रकाशित होने के पहले उनके भाई संजीवचंद्र चट्टोपाध्याय के संपादन में प्रकाशित पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में...