Tag: राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी
गांधीवाद का मूलतत्त्व : लोकचेतना
— राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी —
जब स्वतन्त्रता की लडा़ई लड़ी जा रही थी ,तब महात्माजी सबके लिये अनिवार्य थे ,किन्तु जब सत्ता पास आती हुई...
लोक-अवधारणा
— राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी —
देह स्थूल है और मन सूक्ष्म है लेकिन जैसे देह सत्य है, वैसे ही मन और चेतना भी सत्य है,...
भारतीय ज्ञान-परंपरा में नारी
— राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी —
कहने को तो कहा ही जाता है कि वेद में नारी का अधिकार नहीं है , हालाँकि काशी-विश्वविद्यालय में महामना...
व्यष्टि में समष्टि
— राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी —
तुम उसे व्यक्ति समझ रहे थे ,
आज भी उसे व्यक्ति समझ रहे हो ।
तुम कल भी नहीं समझे थे
तुम आज...