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प्रभा मुजुमदार और ललन चतुर्वेदी की कविताएं
— प्रभा मुजुमदार —
1. केवल राजा?
अंधा
जब भी बांटेंगा रेवड़ियाँ,
जाहिर है
अपनों को ही देगा।
अक्सर अंधा ही होता है
अहंकारी और निरंकुश राजा,
सत्ता शक्ति के मद में।
उसकी आत्मा,...