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चार कवि : चार कविताएँ
— केशव शरण —
उज्ज्वल विचार काले ख़याल
देहधारी गाँधी
आज़ाद थे
ग़ुलाम बनाने वाली सत्ताओं में ताक़त नहीं थी
कि वे उन्हें
अपने अधीन कर लेतीं
देहधारी गाँधी
आज़ादी के लिए...
तीन कवि, तीन कविताएं
— श्रवण गर्ग —
बहती होगी कहीं तो वह नदी !
कहीं तो रहती होगी वह नदी !
बह रही होगी चुपचाप
छा जाते होंगे ओस भरे बादल
जिसकी...
हिजाब तो एक बहाना है, निशाने पर कुछ और है
— श्रवण गर्ग —
बेंगलुरु से मैसूर पहुँचनेवाले राजमार्ग पर कर्नाटक की राजधानी से सिर्फ सौ किमी दूर स्थित मांड्या शहर के एक कॉलेज में...