Tag: श्रवण गर्ग
बर्लिन से ज़्यादा ऊंची नफ़रत की दीवारों पर ख़ामोश हैं मोदी...
— श्रवण गर्ग —
यह एक अलग तरह का युद्ध है जिसकी तैयारी शायद अलग-अलग प्रयोगशालाओं में सालों से की जाती होगी ! ऐसा युद्ध...
वह साल नहीं है यह साल!
— श्रवण गर्ग —
यह साल वह साल नहीं है
जो किसी साल था
सालों साल पहले कभी
सिर पर छाए आकाश की छत जैसा !
लौटकर आता था...
चार कवि : चार कविताएँ
— केशव शरण —
उज्ज्वल विचार काले ख़याल
देहधारी गाँधी
आज़ाद थे
ग़ुलाम बनाने वाली सत्ताओं में ताक़त नहीं थी
कि वे उन्हें
अपने अधीन कर लेतीं
देहधारी गाँधी
आज़ादी के लिए...
तीन कवि, तीन कविताएं
— श्रवण गर्ग —
बहती होगी कहीं तो वह नदी !
कहीं तो रहती होगी वह नदी !
बह रही होगी चुपचाप
छा जाते होंगे ओस भरे बादल
जिसकी...
हिजाब तो एक बहाना है, निशाने पर कुछ और है
— श्रवण गर्ग —
बेंगलुरु से मैसूर पहुँचनेवाले राजमार्ग पर कर्नाटक की राजधानी से सिर्फ सौ किमी दूर स्थित मांड्या शहर के एक कॉलेज में...