Tag: स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 20वीं किस्त
बायझेंटीन साम्राज्य के कुछ हिस्सों में तुर्क राज्य उदित हो गए थे। उनमें से उस्मान नाम के तुर्क नेता के वंशजों ने अपने राज्य...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 19वीं किस्त
उन दिनों जिन्ना साहब मुसलमानों से अपील करते थे कि उन्हें केवल अपने समुदाय के हितों और केवल अपने ही संकुचित फायदे-नुकसान का खयाल...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 17वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रवाद और जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना निःसंदेह मुसलमानों के सबसे शक्तिशाली नेता थे। जिन्ना साहब और गांधीजी का अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : सोलहवीं किस्त
सर सैयद अहमद खां ने ‘कौम’ शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया है। इंडिया एसोसिएशन, लाहौर द्वारा उन्हें दिए गए मानपत्र के जवाब...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : पंद्रहवीं किस्त
जब हिंदुओं में आधुनिक विद्या का प्रसार होने लगा और प्रशासनिक सेवाओं में उनको अधिक स्थान मिलने लगे तो प्रतिक्रियास्वरूप मुसलमानों में दो तरह...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 14वीं किस्त
भारतीय राष्ट्र, भारतीय राष्ट्रवाद
अंग्रेजों की यह धारणा बन गयी थी कि 1857 के विद्रोह के पीछे मुख्यतः मुसलमान थे, जबकि वस्तुतः ऐसी बात नहीं...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 12वीं किस्त
सन 1857 के विद्रोह को अत्यधिक सख्ती और खूबी के साथ दबाने में सर जॉन लारेंस (अंग्रेज अफसर) अग्रणी था। इस विद्रोह के बारे...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 11वीं किस्त
अंग्रेज और सैन्य प्रबंध
प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का राज सारे हिंदुस्तान में फैल गया। अंतिम स्वतंत्र राज्य सिख राज्य था जिसकी भी...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : दसवीं किस्त
जब अंग्रेजी हुकूमत में यह हालत थी तो उसके पूर्व क्या होता होगा?पेशवाओं का राज विशुद्ध ब्राह्मणी राज बन गया था। समानता नाम की...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : नौवीं किस्त
परंपरागत हिंदू कानून के अनुसार अगड़ी यानी उच्च जातियों में विधवाओं के पुनर्विवाह का निषेध था। कतिपय आधुनिक विद्वान पुनर्विवाह के पक्ष में कुछ...