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अशोक सेकसरिया की संपादन प्रक्रिया
— कश्मीर उप्पल —
अशोक सेकसरिया, किशन पटनायक और सच्चिदानन्द सिन्हा से मेरी पहली मुलाकात गिरधर राठी ने सन् 1982 में इटारसी में करायी थी।...
कलकत्ता और प्रबोध कुमार
— शर्मिला जालान —
प्रेमचंद के नाती (दौहित्र) , अमृतराय के भांजे, साठ के दशक के लेखक प्रबोध कुमार को साल की शुरुआत में याद...
‘चौरंगी वार्ता’ ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई
— गंगा प्रसाद —
'चौरंगी वार्ता' सोलह पृष्ठ की दिखने में बिल्कुल साधारण साप्ताहिक पत्रिका थी। लेकिन वह थी बेजोड़ और असाधारण। उसका अपना एक...
अशोक सेकसरिया की कहानियाँ
— प्रयाग शुक्ल —
अशोक सेकसरिया (16 अगस्त, 1932 - 29 नवंबर, 2014) की कहानियाँ गुणेन्द्र सिंह कम्पानी के नाम से सबसे पहले ‘कृति’ पत्रिका...
प्रबोध कुमार : तलाश में हम सभी…!
— देवेन्द्र मोहन —
मेरे पास वो तीन गोले नहीं हैं जो सआदत हसन अली मंटो की नजर के दायरे में थे- शायर ‘मीरा जी’ की शख्सियत...
दूसरों के लिए बुनियाद बनने को समर्पित था उनका जीवन
— भोला प्रसाद सिंह —
न नाम की भूख, न प्रतिष्ठित होने की प्यास, एक निस्पृह जीवन, पर दूसरों को प्रतिष्ठित करने की अंतहीन चाह।...
जुगल किशोर रायबीर : संघर्ष, प्रेम और सत् का संगम –...
— अशोक सेकसरिया —
रायबीर ने उत्तर बंगाल के अपने अनुभव और अपने संगठन की प्रारंभिक सफलता से मोहित हुए बिना इस सत्य को हृदयंगम...
जुगल किशोर रायबीर : संघर्ष, प्रेम और सत् का संगम
— अशोक सेकसरिया —
(उत्तर बंग तपशीली जाति ओ आदिवासी संगठन तथा समाजवादी जन परिषद के नेता जुगल किशोर रायबीर के बारे में यह लेख...
साहित्य और राजनीति, दोनों के सरोकार समाये थे उनमें
— भोला प्रसाद सिंह —
आठवें-नौवें दशक में कलकत्ता के हिंदी बुद्धिजीवियों में डॉ. रमेश चंद्र सिंह की पहचान राजनीति और साहित्य के गहन अध्येता...
मौन की आभा
— शर्मिला जालान —
अपने जीवन काल में कम से कम अपने जीवन के अंतिम पच्चीस वर्षों के दौरान जिसमें एल्जाइमर के छह-सात वर्ष निकाल...