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धूमिल की चमक
— रामप्रकाश कुशवाहा —
राजकमल प्रकाशन से डॉ.रत्नशंकर पाण्डेय के सम्पादन में तीन खण्डों में प्रकाशित 'धूमिल समग्र ' अब तक अप्रकाशित और अजाने धूमिल को भी...
धूमिल की कविता
हर तरफ धुआं है
हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता।
यहां...