महात्मा गांधी से सवाल और उनके उत्तर

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Mahatma Gandhi

1. गांधीजी जैसा कहते हैं वैसा करते नहीं ?
2. गरीब बनने का उपदेश देते हैं परंतु स्वयं संपत्ति रखते हैं?
3. उनका खुद का जीवन बहुत खर्चीला है?4. क्या खुद के लिए कांग्रेस से पैसा लेते हैं?

गांधी जी के उत्तर:

मेरा यह दावा जरूर है कि मैं जैसा कहता हूँ वैसा ही करने की कोशिश करता हूँ। मैं फिर भी कबूल करता हूँ कि मेरा खर्च उतना कम नहीं है जितना कम मैं रखना चाहता हूँ। बिमारी के बाद से मेरा खर्च जितना होना चाहिए उससे ज्यादा हो गया है। सफर में बीमारी से पहले अब ज्यादा खर्च होता है। मैं अब लंबे सफर तीसरे दरजे में भी नहीं कर पाता हूँ। और अब पहले की तरह बिना किसी साथी के अकेला यात्रा नहीं करता।

मैं अ. भा . कां. कमेटी या गुजरात कमेटी से कुछ नहीं लेता। मेरी यात्रा का तथा खाने-कपड़े का खर्च मेरे मित्रगण चलाते हैं। यात्रा में रेल किराया अक्सर वे लोग दे देते हैं , जो लोग मुझे निमंत्रित करते हैं। सभी जगह जो सज्जन मुझे अपने घर ठहराते हैं, मेरी ज़रूरतों का इतना ज़्यादा ध्यान रखते हैं, कि मैं असमंजस में पड़ जाता हूँ। लोग मुझे यात्रा में मेरी ज़रूरत से बहुत ज़्यादा खादी दे देते हैं, इसमें से जो खादी बच जाती है वह ज़रूरतमंद लोगों को दे दी जाती हैं या आश्रम के भंडार में जमा करा दी जाती है।

मेरे पास कोई संपत्ति नहीं है, किंतु फिर भी मैं समझता हूँ कि मैं दुनियां में सबसे धनी आदमी हूँ, क्योंकि मुझे कभी रूपए-पैसे की कमी नहीं रही है – न खुद अपने लिए और न अपने सार्वजनिक कामों के लिए। परमात्मा ने मुझे हर अवसर पर सामयिक मदद भेजी है।

मैंने अपनी सब संपत्ति त्याग दी है।

30 अप्रैल 1925
स्त्रोत: संपूर्ण गांधी वांग्मय, खंड: 16, पृष्ठ 556-7

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