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अदम गोंडवी की ग़ज़ल
मुक्तिकामी चेतना अभ्यर्थना इतिहास की
मुक्तिकामी चेतना अभ्यर्थना इतिहास की
यह समझदारों की दुनिया है विरोधाभास की।
आप कहते हैं इसे जिस देश का स्वर्णिम अतीत
वो कहानी...
रामकुमार कृषक की पाँच ग़ज़लें
1.
पूछ रहा हर दहकां तख़्तनशीनों से,
बेदखली क्यों श्रम की हुई ज़मीनों से।
अपनी आँखों-देखी को बिसराएं क्यों,
क्योंकर पूछें सच्चाई नाबीनों से ।
उन्नत खेती बाँझ रही...
विडंबनाओं के बीच कुछ लयदार लम्हे
— सूर्यनाथ सिंह —
एमडी सिंह यानी मुनि देवेंद्र सिंह। प्रकृति से सचमुच के मुनि हैं। अथक साधक। कई क्षेत्रों में एकसाथ सक्रिय। चिकित्सा विज्ञान...
गंगा-जमुनी तहज़ीब की उम्दा आवाज़ थे मेयार सनेही
— केशव शरण —
सजाकर दामने-अल्फ़ाज़ में ख़याल के फूल/ मैं दे रहा हूँ ज़माने को बोल-चाल के फूल- जैसे बेहतरीन शे'र और ग़ज़लों से...