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उमाकांत मालवीय की कविता

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कोई चाहे जितना बड़ा हो, उसका अनुकरण उसका अनुसरण तुम्हारी गैरत को गवारा नहीं, तुम्हारा अनुकरण तुम्हारा अनुसरण कोई करे ऐसी हविस भी नहीं।   अनुकरण अनुसरण की बैसाखियाँ तुम्हें मंजूर नहीं इसलिए, जब तुम्हें मिले...

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