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गिरिजा कुमार माथुर की कविता

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नया कवि    जो अँधेरी रात में भभके अचानक चमक से चकचौंध भर दे मैं निरंतर पास आता अग्निध्वज हूँ   कड़कड़ाएँ रीढ़ बूढ़ी रूढ़ियों की झुर्रियाँ काँपें घुनी अनुभूतियों की उसी नयी...

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