Tag: Idealogy of Freedom Movement
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 24वीं किस्त
आगे चलकर मुस्लिम लीग और मुस्लिम नेतृत्व के साथ समझौता करने का एक अन्य मौका 1936-37 में भी कांग्रेस पार्टी को मिला था। उत्तरप्रदेश...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 22वीं किस्त
पाकिस्तान और जिन्ना
कालक्रम में हिंदुस्तानी राष्ट्रीयता, इण्डियन नेशन, हिंदू-मुसलमानों के समान हितों पर आधारित एक राष्ट्र जैसी संकल्पनाएं अधिकांश मुसलमानों को अमान्य होने...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 21वीं किस्त
ब्रिटेन से लौटने के बाद भी राष्ट्रीय एकता के बारे में मुहम्मद अली जिन्ना ने कुछ वर्ष अपनी राय नहीं बदली थी। अभी भी...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 20वीं किस्त
बायझेंटीन साम्राज्य के कुछ हिस्सों में तुर्क राज्य उदित हो गए थे। उनमें से उस्मान नाम के तुर्क नेता के वंशजों ने अपने राज्य...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 19वीं किस्त
उन दिनों जिन्ना साहब मुसलमानों से अपील करते थे कि उन्हें केवल अपने समुदाय के हितों और केवल अपने ही संकुचित फायदे-नुकसान का खयाल...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 18वीं किस्त
मोहम्मद अली जिन्ना अपने प्रारंभिक वर्षों में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य थे। वे न केवल पक्के देशभक्त थे, बल्कि सभी किस्म के संकुचित...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 17वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रवाद और जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना निःसंदेह मुसलमानों के सबसे शक्तिशाली नेता थे। जिन्ना साहब और गांधीजी का अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : सोलहवीं किस्त
सर सैयद अहमद खां ने ‘कौम’ शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया है। इंडिया एसोसिएशन, लाहौर द्वारा उन्हें दिए गए मानपत्र के जवाब...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : पंद्रहवीं किस्त
जब हिंदुओं में आधुनिक विद्या का प्रसार होने लगा और प्रशासनिक सेवाओं में उनको अधिक स्थान मिलने लगे तो प्रतिक्रियास्वरूप मुसलमानों में दो तरह...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 12वीं किस्त
सन 1857 के विद्रोह को अत्यधिक सख्ती और खूबी के साथ दबाने में सर जॉन लारेंस (अंग्रेज अफसर) अग्रणी था। इस विद्रोह के बारे...