Tag: Jansangh
संघ परिवार की राजनीति में सुधार असंभव है
— मधु लिमये —
(यह लेख 1993 में प्रकाशित मधु लिमये की पुस्तक संघ परिवार की लचर बौद्धिकता का एक अंश है। इसे ‘समाजवादी विचारमाला’(27-ए,...
राजनारायण को डराया नहीं जा सकता! – नौवीं किस्त
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को हराने, कांग्रेस को धूल चटाने तथा जनता पार्टी बनाने में राजनारायण जी सबसे आगे थे।...
विलाप जारी है !
— राजकुमार जैन —
डॉ राममनोहर लोहिया को इस दुनिया से गए लगभग 54 साल हो गए हैं, और इन 54 सालों में मैं देख...
शादी किसी की एक महीने की जेल हमें!
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
सन 1968 में दिल्ली में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के हमारे नेता थे, साथी सांवलदास गुप्ता। गुप्ता जी की रहनुमाई...
जेपी और आरएसएस के रिश्तों के तीन चेहरे – आनंद कुमार
(दूसरी किस्त)
जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण लेखन, लिखित भाषणों और बयानों को दस खण्डों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो बिमल प्रसाद ने सम्पादित किया...
बिहार आन्दोलन, विद्यार्थी परिषद, जनसंघ और जेपी – आनन्द कुमार
यह स्वीकार करना चाहिए कि जेपी के सार्वजनिक जीवन में तीन विवादग्रस्त निर्णय रहे हैं – (1) 1954 में समाजवादी दल से अलग होकर...