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पाश की कविता – ग़र देश उल्लू बनने की प्रयोगशाला है
यदि देश की सुरक्षा यही होती है
कि बिना ज़मीर होना ज़िन्दगी के लिए शर्त बन जाए
आँख की पुतली में 'हाँ' के सिवाय कोई भी...
धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव की दो कविताएं
फूलों का श्रृंगार गया
जब से उजले भौरों के कर बागों का व्यापार गया।
कृपा बरसती कांटों के घर फूलों का श्रृंगार गया।
इसको कहते राजकृपा जो...