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कुमार अंबुज की दो कविताएं
पुश्तैनी गाँव के लोग
वहाँ वे किसान हैं जो सोचते हैं
अब मज़दूरी करना कहीं बेहतर है
जबकि मानसून भी ठीक–ठाक ही है
पार पाने के लिए उनके...
बढ़ता श्रम, घटता अवकाश का आनंद
— संजय गौतम —
मनुष्य का अवकाश’ वरिष्ठ कवि कुमार अंबुज के निबंधों का संग्रह है। इस सदी के पहले दशक में लिखे गये ये...