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स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 53वीं किस्त

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इस तरह कांग्रेस के आर्थिक कार्यक्रमों में 1930-32 की सिविल नाफरमानी के बाद कोई प्रगतिशील परिवर्तन नहीं हुआ बल्कि प्रगति पर रोक लगाने का...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 52वीं किस्त

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बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में जहाँ कांग्रेस ग्राम-अभिमुख संस्था बनी और उसने खादी तथा हथकरघा उद्योगों को प्रश्रय देना शुरू किया, वहाँ जवाहरलाल...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 51वीं किस्त

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सन 1920 तक कांग्रेस के जितने अध्यक्ष हुए उनमें सबसे अधिक संख्या यानी 17 वकीलों की थी। तीन अध्यक्षों का अपने जीवनकाल में शिक्षा...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 50वीं किस्त

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सन 1918 में औदयोगिक कमीशन की सिफारिशें प्रकाश में आयीं। इस कमीशन ने औद्योगीकरण की प्रक्रिया में सरकारी भूमिका पर विशेष जोर दिया गया...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 49वीं किस्त

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सन 1906 में हुए कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार बंगाल में विभाजन के विरोध में जो बहिष्कार आंदोलन चल रहा था, उसकी खुलकर ताईद...

उम्र 18 वर्ष : एक साल की बामशक्कत कैद! मजिस्‍ट्रेट...

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— प्रो. राजकुमार जैन — एक खांटी राजनैतिक कार्यकर्त्ता को किन-किन दुर्गम कांटों भरी राह में से गुजरना पड़ता है उन सभी कष्ट प्रदान मार्गों...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 48वीं किस्त

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सन 1901 के कांग्रेस अधिवेशन की यह विशेषता रही कि इसमें प्रथम बार कृषिकार्यों को प्राथमिकता और वरीयता देने की बात की गयी और...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 47वीं किस्त

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बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ तक कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशनों में हर साल स्थायी लगान व्यवस्था, कृषि, शिक्षा का विस्तार, सैनिक और गैर-सैनिक खर्च में...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 46वीं किस्त

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यह चिंतनीय है कि मनुष्य के विचार पर राष्ट्रहित, वर्गहित, विभागीय तथा पारिवारिक हित का कितना गहरा असर पड़ता है। 19वीं शताब्दी के अंतिम...

स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 45वीं किस्त

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स्वतंत्रता आंदोलन की आर्थिक नीति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई। उस समय कांग्रेस का नेतृत्व अभिजात वर्ग के हाथों में था,...

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