Tag: nationalism
यह नया परिदृश्य भयावह है, इसके पीछे विचार का संकट है
— राजकिशोर —
आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जिसमें अतीत के बहुत-से अच्छे शब्द निरर्थक जान पड़ते हैं। आधुनिकता का स्थान...
सेकुलरवाद भारतीय राष्ट्रवाद का अभिन्न अंग है – योगेन्द्र यादव
इस कॉलम के अपने पिछले लेख में मैंने कहा था- `नफरत के खिलाफ लड़ाई हमें अपने बूते लड़नी होगी।` इस लेख पर कई तीखी...
नेहरू का रचनात्मक राष्ट्रवाद
— नीरज कुमार —
जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत के एक सुलझे हुए राजमर्मज्ञ थे। नेहरू जी का राजनीति-दर्शन उन जीवंत विचारों में निहित है जो...
प्रेमचंद सच्ची राष्ट्रीयता के लिए समतामूलक समाज को अनिवार्य मानते थे
— गोपेश्वर सिंह —
(दूसरी किस्त)
भारत का विशाल भू-भाग, शस्य श्यामला धरती और यहां की पुरानी अच्छी बातें उन्हें भाती हैं। इस अर्थ में वे सच्चे देश-प्रेमी हैं। इसलिए वे औपनिवेशिक गुलामी...
प्रेमचंद की नजर में राष्ट्र
— गोपेश्वर सिंह —
रामविलास शर्मा ने 1936 ई. को इस अर्थ में विशिष्ट माना है कि इस वर्ष तीन ऐसी रचनाएँ प्रकाशित हुईं जिनमें भविष्य के भारत का सपना था। इनमें पहली...
धर्म को राष्ट्रीयता का आधार मानने वालों के लिए बांग्लादेश एक...
– सुरेश खैरनार –
एक अलग, स्वतंत्र और संप्रभु देश के रूप में बांग्लादेश का उदय ने बैरिस्टर जिन्ना और बैरिस्टर सावरकर के द्विराष्ट्र...