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रामकुमार कृषक की पाँच ग़ज़लें
1.
पूछ रहा हर दहकां तख़्तनशीनों से,
बेदखली क्यों श्रम की हुई ज़मीनों से।
अपनी आँखों-देखी को बिसराएं क्यों,
क्योंकर पूछें सच्चाई नाबीनों से ।
उन्नत खेती बाँझ रही...