Tag: Urdu Poetry
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
— शैलेंद्र चौहान —
कहने की जरूरत नहीं कि आज मजाज़ दह्र पे छाए हुए हैं। लेकिन हिंदी हो या उर्दू अदब, मजाज़ का मूल्यांकन ठीक से...
मोहब्बत और इंक़लाब के प्रतीक कैसे बने फ़ैज़
— विमल कुमार —
बीसवीं सदी के कई ऐसे कवि और शायर हुए जो देखते-देखते एक मिथक में बदल गये और प्रतिरोध के प्रतीक बन...