2 अप्रैल। तमाम श्रमिक संघों ने नए वित्त वर्ष के पहले दिन यानी 1 अप्रैल को नए श्रम कानून की देशभर में प्रतियां जलाईं और विरोध प्रदर्शन किए। दिल्ली के जंतर मंतर सहित पूरे देश में श्रमिक संघों ने सभाएं कीं और सरकार को लगातार मजदूर विरोधी कदम उठाने से बाज आने की चेतावनी दी। अब तक उनके विरोध की अनदेखी करती आई सरकार को झुकना पड़ा। उसने संशोधित कानून पर अमल फिलहाल मुल्तवी रखने की घोषणा की है।
विरोध प्रदर्शनों में शामिल एचएमएस, सीटू, एआईटीयूसी, आईएनटीयूसीएच, ‘सेवा’, टीयूसीसी, एलपीएफ, यूटीयूसी, एआईयूटीयूसी, आईएफटीयू और एमएएसए समेत देश के तमाम श्रमिक संघों ने कहा कि 44 श्रम कानूनों की जगह केवल चार श्रम कानून बनाने का मोदी सरकार का कदम कामगारों को कंपनियों का गुलाम बनाने की साजिश है जिसे हरगिज कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। जिस तरह सरकार ने नए कृषि कानून बनाने से पहले किसी भी किसान संगठन से चर्चा नहीं की, उसी तरह नए श्रम कानून को बनाने से पहले सरकार ने किसी भी श्रमिक संघ से बात नहीं की, जो कि उसकी गलत मंशा और उसके अलोकतांत्रिक रवैये को ही दर्शाता है। श्रमिक संघों ने मई में होनेवाले किसानों के संसद कूच का समर्थन करते हुए उसमें शिरकत करने का एलान किया है।