16 अप्रैल। मध्यप्रदेश में जबलपुर और मंडला के बीच स्थित चुटका गांव के पास परमाणु बिजलीघर बनाने का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय लोग यह सोच कर ही सहम जाते हैं कि कभी चेर्नोबिल या फुकुशिमा जैसा हादसा हुआ तो क्या हालात होंगे। यह अंदेशा निराधार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जबलपुर में भूकंप आ चुका है। फिर, इस परियोजना के चलते बरगी बांध से विस्थापित हुए लोग एक बार फिर विस्थापित होंगे। स्थानीय लोगों के आह्वान पर समाजवादी जनपरिषद के नेता गोपाल राठी ने नर्मदा चेतना यात्रा निकाली। 7 मार्च से मोटर साइकिल से शुरू हुई यह यात्रा एक महीने चली। इस यात्रा में गोपाल राठी के साथ गजानंद यादव थे। राठी पिपरिया के हैं और गजानंद देवास के।
आमतौर पर लोग नर्मदा की परिक्रमा मोक्ष पाने या पुण्यलाभ के व्यक्तिगत-धार्मिक उद्देश्य से करते रहे हैं। लेकिन नर्मदा के उद्गम अमरकंटक से शुरू हुई इस यात्रा का मकसद चुटका परमाणु परियोजना के खतरों तथा नर्मदा नदी में बढ़ते प्रदूषण और अवैध रेत खनन के प्रति लोगों को आगाह करना था।
इस यात्रा के दौरान गोपाल राठी और गजानंद यादव ने नर्मदा के किनारे के गांवों में रहने वालों की जीवन-स्थितियों का जायजा लिया, लोगों से छोटे-छोटे समूहों में चर्चाएं कीं, परचे बाँटे, अखबारों-चैनलों के प्रतिनिधियों से बात की और लोगों से अपील की कि वे मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर चुटका परियोजना को बंद करने की मांग करें। यात्रा को कई जगह बहुत स्वागत और समर्थन मिला। अगर इस तरह के कुछ और प्रयास हों तो नर्मदा में प्रदूषण, अवैध रेत खनन और चुटका परमाणु परियोजना का विरोध मध्यप्रदेश में एक आंदोलन की शक्ल ले सकता है।